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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : जमीन की तेजी से बढ़ती कीमतों ने आखिरकार केंद्र सरकार को भी पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। नेशनल हाईवे-333A पर बनाए जा रहे फ्री जोन बाईपास की योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने जमुई बाईपास के मौजूदा एलाइनमेंट पर तुरंत रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं और इसके लिए नए विकल्प तलाशने को कहा है।

इस निर्णय के पीछे सबसे बड़ी वजह भू-अर्जन पर आने वाली भारी लागत बताई जा रही है। अनुमान के अनुसार, लगभग 31.95 एकड़ जमीन खरीदने के लिए करीब 92.32 करोड़ रुपये की राशि खर्च होनी थी।

कंपनी ने छोड़ा तीन और बाईपास का काम

जमुई बाईपास को रोक देने के बाद उस कंपनी ने भी हाथ खींच लिए हैं, जिसने निविदा प्राप्त की थी। अब कंपनी खैरा, सिकंदरा और शेखपुरा बाईपास के निर्माण से भी हट चुकी है। इसके चलते तीनों बाईपास की परियोजनाएं भी अनिश्चितता में फंस गई हैं और इन्हें मिलाकर फिर से नई निविदा निकाली जाएगी।

उधर, जमुई बाईपास के लिए नए विकल्प तलाशने का काम शुरू हो चुका है। पहले की योजना के अनुसार, शहर में प्रवेश से पहले एनएच-333A को नारडीह के पास खैरा रोड की ओर मोड़कर बाईपास बनाया जाना था। यह बाईपास आगे नीमारंग के पास जाकर मुख्य सड़क से जुड़ता। नए एलाइनमेंट पर विचार होने के चलते खैरा बाईपास का रूट भी बदला जा सकता है, हालांकि विभागीय इंजीनियर इस संभावना से इंकार करते हैं।

चारों प्रभावित बाईपास की लंबाई

जमुई – 4.311 किमी

सिकंदरा – 0.758 किमी

खैरा – 3.927 किमी

शेखपुरा – 4.342 किमी

क्या बोले ठेकेदार?

विजय सिंह, प्रोपराइटर बाबा हंस कंपनी, का कहना है कि भू-अर्जन से पहले ही निविदा निकाल दी गई जिसके कारण उनकी बैंक गारंटी पिछले दो साल से अटकी हुई है। अब जमुई बाईपास पर रोक लगने से उनकी कंपनी ने शेष तीन बाईपास प्रोजेक्ट से भी किनारा कर लिया है।

विभाग की प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमंडल, बिहार शरीफ के कार्यपालक अभियंता रंजीत कुमार ने पुष्टि की कि जमीन की अत्यधिक लागत को देखते हुए मंत्रालय ने जमुई बाईपास को रोक दिया है। इसके लिए नए विकल्प ढूंढे जाएंगे और बाकी तीन बाईपास के लिए फिर से निविदाएं जारी होंगी।

यह पूरा मामला दिखाता है कि बढ़ती जमीन की कीमतें बड़े बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट्स पर कितनी गहरी चोट पहुँचा सकती हैं।