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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की गर्मी अभी से महसूस होने लगी है। मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के साथ-साथ चुनावी हलचल भी तेज हो गई है। जहां बड़े दलों के बीच अब तक सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है, वहीं कई छोटे-छोटे दल पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।

2020 के पिछले चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सीमांचल में धमाकेदार एंट्री की थी। उन्होंने पांच सीटें जीतकर महागठबंधन की रणनीति बिगाड़ दी थी। हालांकि, बाद में उनके चार विधायक राजद में शामिल हो गए। लेकिन इस बार AIMIM, जनसुराज, हिन्द सेना, एलजेपी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियां फिर से चुनावी समीकरण को पलटने को तैयार हैं।

जनसुराज की बढ़ती चर्चा
प्रशांत किशोर की पार्टी 'जनसुराज' अब गांव-गांव में चर्चा का विषय बन चुकी है। सीमांचल, खासकर मुस्लिम बहुल किशनगंज जिले में लोग अब इस नई राजनीतिक ताकत पर भी बात करने लगे हैं। यहां AIMIM का तो पहले से प्रभाव है, लेकिन अब सवाल ये है कि क्या जनसुराज इस इलाके में AIMIM के बाद दूसरी बड़ी ताकत बन पाएगी?

एनडीए के लिए किशनगंज अब भी चुनौती
1995 के बाद से अब तक किशनगंज में एनडीए को ज्यादा सफलता नहीं मिली है। नीतीश कुमार ने भले ही मुस्लिमों के लिए काम किया हो, लेकिन जेडीयू को इस जिले में कभी बहुत बड़ी जीत नहीं मिली। यही वजह है कि एनडीए के लिए सीमांचल एक कमजोर कड़ी बनी हुई है।

AIMIM की पिछली सफलता और नए समीकरण
ओवैसी की AIMIM ने 2020 में बहादुरगंज और कोचाधामन समेत सीमांचल की पांच सीटें जीती थीं। लेकिन सरकार बनाने में नाकामी ने अल्पसंख्यकों को निराश किया। अब एक बार फिर चुनाव की आहट के साथ सीमांचल में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है।

तौसीफ आलम फिर मैदान में
पहले निर्दलीय, फिर तीन बार कांग्रेस विधायक रह चुके तौसीफ आलम अब AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। वहीं, राजद के मौजूदा विधायक अंजार नईमी एक बार फिर जीतकर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं।

जनसुराज ने उपचुनाव में दिखाया दम
प्रशांत किशोर ने दो साल की पदयात्रा के बाद 'जनसुराज' के बैनर तले चार उपचुनाव लड़े और करीब 10% वोट भी हासिल किए। भले ही पार्टी जीत नहीं सकी, लेकिन समीकरण जरूर बिगाड़ दिए, जिससे एनडीए को फायदा मिला।

अब 15 जुलाई को प्रशांत किशोर बहादुरगंज में आम सभा करने वाले हैं। देखना होगा कि वे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में लोगों को कितना प्रभावित कर पाते हैं और क्या यह समर्थन वोट में बदलेगा।

किशनगंज: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का गृह जिला
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल का गृह जिला किशनगंज है। ऐसे में यहां एनडीए की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।

हालांकि, हिन्द सेना, एलजेपी, बीएसपी, वीआईपी जैसी अन्य पार्टियां अब तक ज़मीनी स्तर पर चर्चा में नहीं हैं। लेकिन चुनावी माहौल में ये छोटी पार्टियां भी किसी बड़े उलटफेर का कारण बन सकती हैं।