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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारत जब अपने एथलीटों की जीत और क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक कामयाबी पर गर्व कर रहा है, उसी वक्त पंजाब सरकार ने मैदान से बाहर भी साहस और समानता की नई मिसाल पेश की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य ने एक ऐसा कदम उठाया है जो न सिर्फ प्रशासनिक बदलाव है, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण का ऐतिहासिक प्रतीक बन गया है।

पंजाब बना देश का पहला राज्य जिसने महिला अग्निशामकों के लिए रास्ता खोला

लंबे समय से चले आ रहे फायर ब्रिगेड भर्ती नियमों में बदलाव कर पंजाब सरकार ने इतिहास रच दिया है। अब तक अग्निशामक भर्ती में महिलाओं के लिए सबसे बड़ी बाधा थी — एक मिनट में 60 किलो वजन उठाकर 100 गज तक दौड़ना।
इस कठोर शारीरिक मानक के कारण 2022 में आवेदन करने वाली लगभग 1,400 महिलाएं परीक्षा पास नहीं कर पाईं।

1970 के दशक से चले आ रहे इन पुराने नियमों ने कई पीढ़ियों की योग्य महिलाओं के सपनों को रोक दिया।
लेकिन अब, सरकार ने फैसला लिया कि काबिलियत का माप वजन नहीं, बल्कि हिम्मत, चुस्ती और हुनर है।

ऐतिहासिक बदलाव: अब महिलाओं के लिए वजन सीमा 60 से घटकर 40 किलो

मुख्यमंत्री भगवंत मान की कैबिनेट ने पंजाब अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा विधेयक, 2024 पारित कर दिया है।
इस संशोधन के तहत:

महिला उम्मीदवारों के लिए वज़न उठाने की सीमा 60 किलो से घटाकर 40 किलो कर दी गई है।

ऊंचाई के मानदंडों में भी छूट दी गई है।

इस फैसले से जल्द ही सैकड़ों महिलाएं पंजाब फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज़ में भर्ती हो सकेंगी।

“अब ये सिर्फ नौकरी नहीं, बराबरी की लड़ाई है” – सिमरनजीत कौर

अमृतसर की सिमरनजीत कौर ने बताया,

“मेरे भाई ने कहा था – तू लिखित में जितना भी अच्छा कर ले, वो 60 किलो तेरा रास्ता रोक देंगे। और सच में, ऐसा ही हुआ। दो बार फेल हुई, सिर्फ वजन की वजह से। लेकिन अब हालात बदल गए।”

अब वही सिमरनजीत और उसकी जैसी सैकड़ों लड़कियां यूनिफॉर्म में आग से लड़ेंगी।
पुराने नियमों ने उन्हें बाहर रखा था, पर नए नियमों ने उन्हें समाज के फ्रंटलाइन पर ला दिया है।

“ताकत किलो में नहीं, किरदार में होती है” – पंजाब अधिकारी

पंजाब के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,

“सरकार ने समझा कि असली ताकत किलो में नहीं, किरदार में होती है। महिलाओं के लिए ये बदलाव सिर्फ संख्या का नहीं, सोच का है।”

क्यों यह फैसला खास है

शारीरिक अंतर का सम्मान: महिलाओं और पुरुषों की बनावट अलग होती है — इसे कमजोरी नहीं, समझदारी के रूप में देखा गया।
मेरिट पर ध्यान: अब परीक्षा सिर्फ ताकत की नहीं, बल्कि कौशल, गति और व्यावहारिक समझ की होगी।
वास्तविक समानता: यह दिखावे वाला समावेश नहीं, बल्कि योग्यता-आधारित बराबरी का वास्तविक कदम है।