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नई दिल्ली। केंद्र में नई गठबंधन सरकार के गठन के बाद अब देश की निगाहें उसके कामकाज और शुरुआती फैसलों पर टिकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने अपना कार्यभार संभाल लिया है और मंत्रियों के बीच मंत्रालयों का बँटवारा भी हो चुका है। जहाँ एक ओर सरकार अपनी प्राथमिकताओं को गिना रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। इन राजनीतिक गहमागहमी के बीच, देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी और जल संकट से लेकर छात्रों के भविष्य से जुड़ी परीक्षाएँ चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं।

राजनीतिक परिदृश्य: एक्शन में नई सरकार, विपक्ष की पैनी नजर

तीसरी बार सत्ता में आई एनडीए सरकार के सामने इस बार गठबंधन की मजबूरियों के साथ काम करने की चुनौती है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले फैसलों में किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त जारी की, जिससे यह संकेत देने की कोशिश की गई कि किसानों का कल्याण उनकी प्राथमिकता है। वहीं, अमित शाह, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण और एस. जयशंकर जैसे प्रमुख चेहरों ने अपने पुराने मंत्रालयों का कार्यभार संभाल लिया है, जो सरकार की नीतियों में निरंतरता का संकेत देता है। दूसरी तरफ, कांग्रेस के नेतृत्व में 'इंडिया' गठबंधन एक मजबूत विपक्ष के रूप में उभरा है और नीट (NEET) परीक्षा में कथित धांधली, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार से जवाबदेही की माँग कर रहा है।

राष्ट्रीय मुद्दे: भीषण गर्मी का कहर और परीक्षा पर संग्राम

उत्तर भारत के कई राज्य इस समय भीषण गर्मी और लू की चपेट में हैं। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है, जिससे जल संकट गहरा गया है। पानी की कमी को लेकर राज्यों के बीच तनातनी भी देखने को मिल रही है और आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

इसके अलावा, मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 में कथित अनियमितताओं का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। देश भर में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और मामले की उच्च स्तरीय जाँच की माँग कर रहे हैं। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया है, जहाँ सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को जवाब देना है। यह मुद्दा लाखों छात्रों के भविष्य से जुड़ा होने के कारण बेहद संवेदनशील हो गया है।

अंतर्राष्ट्रीय और आर्थिक हलचल

नई सरकार के गठन के बाद शेयर बाजार में शुरुआती उतार-चढ़ाव के बाद अब स्थिरता देखने को मिल रही है। निवेशकों की नजरें सरकार के पहले बजट पर टिकी हैं, जिससे देश की आर्थिक दिशा का पता चलेगा। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की नई सरकार के साथ विभिन्न देशों के संबंध चर्चा में हैं। प्रधानमंत्री के आगामी विदेशी दौरे और वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

कुल मिलाकर, आने वाले दिन नई सरकार के लिए नीतिगत फैसलों, विपक्ष के दबाव और देश के सामने खड़ी तात्कालिक चुनौतियों से निपटने की परीक्षा के दिन होंगे।