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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिजली विभाग की लापरवाही का खामियाजा अब शहर के आम लोगों को उठाना पड़ रहा है। खास बात ये है कि जिन इलाकों से विभाग को सबसे ज्यादा कमाई हो रही है, वहीं के उपभोक्ताओं को ठीक से सेवा नहीं मिल रही है। मामूली खराबी को ठीक करने में जहां आधे घंटे का समय लगना चाहिए, वहां दो घंटे तक इंतज़ार करना पड़ रहा है।

इस समस्या की जड़ है – संसाधनों की भारी कमी। उपभोक्ताओं की संख्या के मुकाबले कर्मचारियों और ज़रूरी उपकरणों की संख्या बेहद कम है। फॉल्ट ठीक करने के लिए कर्मचारी न सिर्फ बिना वाहन के निकलते हैं, बल्कि सीढ़ी तक खुद अपने कंधों पर उठाकर ले जाते हैं। इससे आने-जाने में ही एक घंटे तक लग जाता है।

तिलकामांझी, मोजाहिदपुर, नाथनगर और अलीगंज जैसे सबडिवीजनों में लाखों उपभोक्ता हैं, लेकिन हर सेक्शन के लिए महज़ कुछ लाइनमैन और सीमित मानवबल ही हैं। तिलकामांझी, जो सबसे ज्यादा राजस्व देता है, वहां तक सुविधाएं नदारद हैं। वहीं मोजाहिदपुर में भी यही हालात हैं।

तिलकामांझी सबडिवीजन अकेले सालाना करोड़ों रुपये का राजस्व देता है, लेकिन स्थिति ये है कि यहां एक ही वाहन है और वह भी कई दिन खराब रहता है। कई इलाकों में फॉल्ट ठीक करने के लिए कर्मचारियों को पैदल ही जाना पड़ता है।

बिजली विभाग के अधिकारी कहते हैं कि उन्होंने मानवबल और वाहनों की संख्या बढ़ाने की मांग की है। लेकिन जब तक ये मांगें पूरी नहीं होतीं, उपभोक्ता और कर्मचारी – दोनों ही परेशान रहेंगे।