नई दिल्ली।। आज भारत के लिए संचार के क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। आज भले ही हमारे देश में निजी और सरकारी चैनलों की भरमार है। आज हम जिस दौर में हैं। हमारे पास मनोरंजन के विभिन्न साधन उपस्थित है। इंटरनेट के आते ही यह साधन भी बहुत बढ़ गए हैं। आधुनिक समय में हमारे टेलीविजन में भी हजारों चैनल प्रसारित होते हैं। लेकिन भारत के आजादी के समय स्थिति ऐसी नहीं हुआ करती थी।
उस दौर में देश में कोई भी त्वरित संचार व्यवस्था नहीं थी। 96 साल पहले 23 जुलाई 1927 को देश में 'आकाशवाणी' की स्थापना हुई थी। देशवासियों ने पहली बार रेडियो पर प्रसारण सुना था। आकाशवाणी की लोकप्रियता के पीछे कारण इसका विभिन्न भाषाओं में प्रसारण होना है। क्योंकि भारत देश में विभिन्न भाषाओं और स्थानीय भाषाओं को बोलने वाले लोग रहते हैं। जो सिर्फ स्थानीय भाषा को नहीं समझते और बात करने के लिए उपयोग करते हैं। इन लोगों तक सरकारी निर्देश और आदेश तथा जरूरी जानकारी पहुंचाने के लिए भारत सरकार को एक ऐसे माध्यम की जरूरत थी। जो उनकी ही भाषा में बात कर सके इसी बात को समझते हुए भारत सरकार ने आकाशवाणी की शुरुआत की थी।
हर साल इसी दिन नेशनल ब्रॉडकास्टिंग डे मनाया जाता है। उस समय मनोरंजन का सिर्फ एक ही साधन था जिसे रेडियो कहा जाता है। इस दिन को सेलिब्रेट करने के पीछे रेडियो का महत्व याद दिलाना और समझाना भी एक बड़ी वजह है। यह वह दिन था जब भारत को अपनी पहली रेडियो ब्रॉडकास्टिंग कंपनी मिली थी। उस समय इस सेवा का नाम भारतीय प्रसारण सेवा (इंडियन ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन) रखा गया था।
देश में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुंबई और कोलकाता में सन 1927 में दो निजी ट्रांसमीटरों से की गई। 1930 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ। आजादी के समय भारत में कुल 9 रेडियो स्टेशन थे, लेकिन पाकिस्तान अलग हुआ तो 3 रेडियो स्टेशन पाकिस्तान में चले गए। भारत के पास दिल्ली, बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, तिरुचिरापल्ली और लखनऊ के स्टेशन बचे। ऑल इंडिया रेडियो की पहुंच तब केवल 11% आबादी तक ही थी। 1956 में ऑल इंडिया रेडियो को आकाशवाणी नाम दिया गया। अगले ही साल विविध भारती की शुरुआत हुई। प्रसार भारती (ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया के नाम से भी जानते हैं)
साल 1997 में प्रसार भारती का गठन किया गया--
सरकारी प्रसारण संस्थाओं को स्वायत्तता देने के इरादे से 23 नवंबर 1997 को प्रसार भारती का गठन किया गया, जो देश की एक सार्वजनिक प्रसारण संस्था है और इसमें मुख्य रूप से दूरदर्शन और आकाशवाणी को शामिल किया गया। अगर दुनिया में रेडियो की शुरुआत की बात करें तो इसकी शुरुआत 1900 के आरंभ से होती है। 24 दिसंबर 1906 को कनाडा के वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने अपना वॉयलिन बजाया। दूर समुद्र में तैर रहे जहाजों में रेडियो सेट पर उनके वॉयलिन की आवाज सुनाई दी। इस तरह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई। दशकों से रेडियो सबसे पुराने, सबसे लोकप्रिय और सबसे व्यापक रूप से उपभोग किए जाने वाले समाचार माध्यमों में से एक बना हुआ है।
हर दौर में रेडियो प्रसारण का अपना अलग महत्व रहा है। आजादी से पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद रेडियो और कांग्रेस रेडियो ने भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ जगाने में मदद की। वहीं आजादी के बाद स्वतंत्र भारत के निर्माण के लिए रेडियो प्रसारण ने मील के पत्थर का काम किया। ब्रॉडकास्टिंग, प्राकृतिक आपदाओं के समय सूचना देने में भी अहम भूमिका निभाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को मन की बात कार्यक्रम रेडियो पर ही संबोधित करते हैं। मौजूदा समय के इस हाईटेक संचार व्यवस्था में भी रेडियो देशवासियों में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।