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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन, जिसे संक्षेप में नाटो भी कहा जाता है, दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य संगठन है। इस संगठन से दुनिया के कुल 30 देश जुड़े हुए हैं और इसमें दुनिया के शक्तिशाली देशों की सेनाएं भी शामिल हैं, जो किसी भी आपातकालीन स्थिति में सहयोगियों की मदद करती हैं। हाल ही में नाटो प्रमुख मार्क रूट ने भारत, चीन और ब्राजील को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने रूस के साथ तेल और गैस का व्यापार जारी रखा, तो उन्हें 100% कड़ी सजा दी जाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि जब नाटो एक सैन्य संगठन है, तो वह भारत को व्यापार नीति पर धमकी कैसे दे सकता है। आखिर नाटो कितना शक्तिशाली है, आइए जानते हैं इसके बारे में।

नाटो एक सैन्य गठबंधन है जिसका काम सामूहिक सुरक्षा प्रदान करना है, वैश्विक व्यापार को नियंत्रित करना नहीं। चूँकि भारत का नाटो से कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए रूट के बयान से यह सवाल भी उठता है कि क्या उन्होंने यह बयान ट्रंप के दबाव में दिया? खैर, यहाँ हम जानते हैं कि नाटो संगठन कितना शक्तिशाली है।

नाटो का गठन कब और कैसे हुआ? 
1948 में जब सोवियत संघ ने बर्लिन पर कब्ज़ा कर लिया, तो पश्चिमी यूरोपीय देशों में भय फैल गया। उसके बाद इन देशों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में नाटो का गठन किया गया। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों ने मिलकर 4 अप्रैल, 1949 को वाशिंगटन डी.सी. में नाटो की स्थापना की। इसका उद्देश्य पश्चिमी यूरोप में सोवियत संघ की विचारधारा को रोकना था। वर्तमान में नाटो का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में है। वर्तमान में नाटो में 30 देश शामिल हैं, लेकिन भारत इसका सदस्य नहीं है। यह अपने सदस्य देशों की सैन्य और राजनीतिक तरीकों से रक्षा करता है और उनकी स्वतंत्रता को बनाए रखता है। इसके अलावा, यह सदस्य देशों की आर्थिक और सामाजिक रूप से भी मदद करता है।

नाटो क्या करता है? 
नाटो एक सामूहिक रक्षा प्रणाली के रूप में कार्य करता है, यानी अगर 30 देशों में से किसी का भी दुश्मन उस पर हमला करता है, तो यह माना जाता है कि उसके सभी सदस्य देशों पर हमला हुआ है। खर्च की बात करें तो नाटो देशों का कुल सैन्य खर्च 70% से ज़्यादा है और इसमें सबसे ज़्यादा खर्च अमेरिका करता है। नाटो इतना शक्तिशाली है कि वह पहले विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की कोशिश करता है, लेकिन अगर देश नहीं मानते हैं, तो वह सैन्य बल का भी इस्तेमाल करता है।

भारत 
नाटो में क्यों शामिल नहीं हुआ, इसका इससे कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल, कोई भी एशियाई देश इस संगठन का हिस्सा नहीं है, इसीलिए कूटनीतिक कारणों से भारत इस संगठन का हिस्सा नहीं बन रहा है। भारत को इस संगठन में शामिल होने के कई प्रस्ताव मिले हैं, लेकिन भारत ने हर बार इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।