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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हरिद्वार के गंगा घाट एक बार फिर शिव भक्तों के जयकारों से गूंज उठे हैं! 'पंचक' काल खत्म होते ही, कांवड़ यात्रा के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा है। गंगा के पवित्र घाटों पर अब पैर रखने की जगह नहीं है, हर तरफ केसरिया रंग में रंगे शिव भक्त ही नज़र आ रहे हैं।

कांवड़ यात्रा का इंतज़ार कर रहे लाखों शिव भक्तों के लिए 'पंचक' एक छोटा सा विराम होता है। यह एक ऐसा समय होता है जब कुछ शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। लेकिन जैसे ही यह काल खत्म होता है, भोले के भक्त अपनी कांवड़ लेकर गंगाजल भरने के लिए निकल पड़ते हैं। बुधवार की शाम पंचक खत्म होते ही, भक्तों की भीड़ अचानक कई गुना बढ़ गई। हरकी पैड़ी और आसपास के सभी घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।

भक्तों का उत्साह देखने लायक था। कोई 'हर-हर महादेव' के नारे लगा रहा था, तो कोई 'बम-बम भोले' के उद्घोष से पूरे माहौल को भक्तिमय बना रहा था। ये श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर जल भर रहे हैं और फिर उसी जल को लेकर अपने-अपने गंतव्य की ओर निकल रहे हैं, जहाँ वे भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे।

प्रशासन और पुलिस भी इस भीड़ को संभालने के लिए पूरी तरह मुस्तैद हैं। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं ताकि कांवड़ यात्री सुरक्षित रूप से अपनी यात्रा पूरी कर सकें। यह नज़ारा सचमुच अद्भुत है, जहाँ आस्था और भक्ति का ऐसा संगम देखने को मिलता है जो मन को शांति और ऊर्जा से भर देता है। कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक सफर नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का एक जीवंत प्रतीक है।