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पितृपक्ष : करें पितृदोष से मुक्ति के उपाय, वरना जीवनभर रहेंगे परेशान

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धर्म डेस्क। पितृपक्ष पूर्वजों के आरती श्रद्धा अर्पित करने एवं संयम से जीवन बिताने का महत्वपूर्ण समय होता है। पितृपक्ष में पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध एवं तर्पण अवश्य करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार यदि आपके दिवंगत हो चुके पूर्वज आपसे नाराज हैं, तो हर काम में तरह तरह की बाधाएं आएंगी और काम सुचारु रूप से संपन्न नहीं होता है। पितरों की अवेहलना करने से भी पितृदोष लगता है। पितृदोष के लक्षण को जानकार इससे मुक्ति के उपाय करना बेहद आवश्यक होता है।

यदि किसी के घर में किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हो जाती है और उसका अंतिम संस्कार या तर्पण विधि-विधान से नहीं किया जाता, तो उस व्यक्ति की आत्मा भटकती रहती है और मृत व्यक्ति परलोक में भी दुख उठाता है। इससे  घर के सदस्यों विशेषकर घर के मुखिया को पितृदोष का सामना करना पड़ता है। कसी किसी की कुंडली में भी पितृदोष लग जाता है। किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में अगर दूसरे भाव, आठवें भाव और दसवें भाव में सूर्य के साथ अगर केतु है, तो पितृ दोष बनता है।

पितृदोष के लक्षण हमें नित्य दिखते हैं। जैसे यदि भोजन ग्रहण करते समय थाली में कुछ न कुछ पड़ ही जाता है, भोजन में बाल, कंकड़-पत्थर, कीट आदि निकलना पितृदोष का एक लक्षण है। इसी तरह घर-परिवार में हमेशा किसी व्यक्ति का बीमार रहना भी पितृदोष का एक लक्षण है। इसी तरह कुछ लोगों को अकारण ही संतान सुख नहीं मिल पाता है। बच्चा जन्म लेते ही मर जाना भी पितृदोष का एक लक्षण है।

पितृदोष से मुक्ति के उपाय सरल हैं और इसे जरूर करना चाहिए। पितृदोष से मुक्ति के उपाय न करने पर यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है और घर के सदस्य परेशान रहते हैं। इसलिए पितरों को मनाने के लिए उनका श्राद्ध, तर्पण, हवन-पूजा आदि अनुष्ठान अवश्य करने चाहिए। पितृदोष दूर करने के लिए इससे पितृदोष से छुटकारा मिलता है।

इसी तरह पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष में पीपल के पेड़ में काला तिल डला हुआ दूध चढ़ाना चाहिए। पितृपक्ष में नित्य शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए। इससे जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। इसी तरह पितृपक्ष में दोपहर के समय पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। पितृदोष से मुक्ति के लिए प्रत्येक अमावस्या पर पितरों का तर्पण करके उनके नाम पर दान-पुण्य और सामर्थ्य अनुसार भोज करना चाहिए। इसके साथ ही कुत्ता, गाय, कौए आदि जीव-जन्युओं को अन्न खिलाने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं।  

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