
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : जन सुराज पार्टी (जसुपा) के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के बीच विवाद गहराता जा रहा है। हाल ही में पीके ने आरोप लगाया था कि चौधरी ने मात्र दो साल के भीतर करीब 200 करोड़ की संपत्ति अर्जित की है।
इन आरोपों के जवाब में अशोक चौधरी ने पीके को 100 करोड़ रुपये की मानहानि का नोटिस भेज दिया। लेकिन इस पर पीके की ओर से उनके वकील देवाशीष गिरि ने पलटवार करते हुए कहा कि यह नोटिस पूरी तरह निराधार और राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है।
जसुपा के प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने बताया कि चौधरी को भेजे गए जवाब में स्पष्ट लिखा गया है कि वे जनता के बीच उठ रहे असली सवालों से बचने और दबाने के लिए कानून का सहारा ले रहे हैं।
जवाब में विस्तार से उन संपत्तियों का जिक्र किया गया है जो कथित रूप से चौधरी की पत्नी, उनकी बेटी और सांसद शांभवी चौधरी, तथा दामाद सायण कुणाल के परिवार के नाम पर खरीदी गई हैं। इन संपत्ति सौदों में भुगतान की प्रक्रिया और घोषित रकम को लेकर गंभीर गड़बड़ियां पाई गई हैं। कई रजिस्ट्री बाजार मूल्य से काफी कम रकम दिखाकर कराई गई हैं। स्थानीय लोगों और उपलब्ध दस्तावेज़ों से यह साफ होता है कि ये संपत्तियां वास्तव में चौधरी की ही हैं।
पीके की ओर से यह भी कहा गया है कि अशोक चौधरी का राजनीतिक सफर खुद उनके अवसरवाद की मिसाल है। उन्होंने साल 2000 में कांग्रेस से विधायक बनकर राजनीति शुरू की थी, बाद में राजद के समर्थन से मंत्री पद पाया। कांग्रेस से निलंबन के बाद उन्होंने जदयू का रुख किया, जो उनके दल-बदल की राजनीति को दर्शाता है।
प्रशांत किशोर का कहना है कि उन्होंने जो सवाल उठाए हैं, वे जनता के हित से जुड़े हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आते हैं।