
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने एक बड़ा फैसला दिया। तमिलनाडु के राज्यपाल के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल विधेयकों पर अनिश्चित काल तक रोक नहीं लगा सकते। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर सवाल उठाए हैं। जवाब में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल पूछे हैं। ये प्रश्न राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों से संबंधित हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से पूछे गए प्रश्न संविधान के अनुच्छेद 200, 201, 361, 143, 142, 145(3) और 131 से संबंधित हैं। राष्ट्रपति ने पूछा है कि जब कोई विधेयक राज्यपाल के समक्ष आता है तो उसके पास क्या विकल्प होते हैं और क्या राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य है? इसी प्रकार राष्ट्रपति ने कुल 14 प्रश्न पूछे हैं।
President of India Droupadi Murmu under Article 143 (1) of the Constitution of India has sent a reference to the Supreme Court following its recent ruling that set timelines for Governors and the President to grant assent to bills passed by legislatures.
— Bar and Bench (@barandbench) May 15, 2025
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मामला कैसे शुरू हुआ?
दरअसल, यह मामला तमिलनाडु के राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच विवाद के बाद शुरू हुआ। राज्यपाल ने राज्य सरकार के विधेयकों को रोक दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने 8 अप्रैल को फैसला दिया था कि राज्यपाल को वीटो का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा भेजे गए विधेयक पर 3 महीने के भीतर फैसला लेना होगा।
राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे ये सवाल -
विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल के पास क्या संवैधानिक विकल्प बचे हैं?
क्या राज्यपाल के लिए निर्णय लेते समय मंत्रिपरिषद की सलाह मानना अनिवार्य है?
क्या राज्यपाल के निर्णय को अदालत में चुनौती दी जा सकती है?
क्या अनुच्छेद 361 राज्यपाल के निर्णयों की न्यायिक समीक्षा को रोक सकता है?
यदि संविधान में राज्यपाल के कार्यकाल की कोई सीमा नहीं है तो क्या न्यायालय इस पर निर्णय दे सकता है?
क्या राष्ट्रपति के निर्णय को अदालत में चुनौती दी जा सकती है?
क्या न्यायालय राष्ट्रपति के निर्णयों पर समय सीमा लगा सकता है?
क्या राष्ट्रपति के लिए सर्वोच्च न्यायालय की राय लेना अनिवार्य है?
राष्ट्रपति ने धारा 142 के संबंध में प्रश्न पूछा। उन्होंने पूछा कि क्या अनुच्छेद 142 के तहत राष्ट्रपति या राज्यपाल के संवैधानिक कार्यों और आदेशों को संशोधित किया जा सकता है।