img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : देश की सुरक्षा और पीएम के लिए भरोसेमंद लोगों की लिस्ट में प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का नाम सबसे पहले आता है देश के सुरक्षा नीति रणनीतिकार होने के अलावा उन्हें प्रधानमंत्री के विश्वसनीय सलाहकार के रूप में भी देखा जाता है। अजीत डोभाल न सिर्फ अपने काम के लिए सुर्खियों में रहते हैं बल्कि उन्हें देश का जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है। उन्होंने अपने जीवन के 30 वर्ष जासूसी में बिताए हैं। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक भी उनकी निगरानी में हुई थी।

कैबिनेट मंत्री का दर्जा

अजीत डोभाल को देश के सबसे ताकतवर नौकरशाहों में से एक माना जाता है। पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में उन्हें एनएसए के अलावा सामरिक नीति समूह का सचिव भी बनाया गया था। वह सात साल तक भारत में एक मुसलमान के रूप में पाकिस्तान में रहे। उन्हें भारत के सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। वह यह सम्मान पाने वाले अधिकारी थे। इसके अलावा उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया है। इसके अलावा उन्हें क्या सुविधाएं मिलती हैं, यह भी बताएं।

वेतन कितना है?

अजीत डोभाल की बेसिक सैलरी की बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद के लिए बेसिक सैलरी 1 लाख 37 हजार 500 रुपये है। सैलरी के अलावा उन्हें कई भत्ते भी दिए जाते हैं। जिसके बाद उनकी सैलरी करीब 2 लाख रुपए हो जाती है। रिपोर्टों के अनुसार, एनएसए को उनके पिछले कार्यकाल, अनुभव और सरकार द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारियों के आधार पर वेतन मिलता है। अजीत डोभाल पिछले कई वर्षों से इस पद पर कार्यरत हैं।

क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं?

सरकार एनएसए को विशेष और वीवीआईपी स्तर की सुविधाएं प्रदान करती है। उच्च सुरक्षा वाले बंगलों के अलावा उच्च स्तरीय सुरक्षा, विदेश यात्राएं, सरकारी कारें तथा कई अन्य भत्ते और सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।

अजीत डोभाल

अजीत डोभाल का इतिहास बड़ा दिलचस्प रहा है। उन्होंने पुलिस अधिकारी के रूप में कई ऑपरेशनों को अंजाम दिया है। उन्होंने भाजपा सरकारों के साथ जितना काम किया है, उतना ही कांग्रेस के साथ भी किया है। उन्होंने इस कार्य को अधिकतम विस्तार के साथ पूरा किया है। सबसे पहले दिमाग में मिजो समझौते का नाम आता है। जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सिक्किम को राज्य का दर्जा दिलाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1984 के दंगों के दौरान वह पाकिस्तान में थे। वे वहां जासूस के रूप में काम करते थे।