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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर भारत में हुई भारी बारिश ने जहां जान-माल का नुकसान किया है, वहीं इसका एक सकारात्मक असर भी देखने को मिला है – इस बार हवा में प्रदूषण का स्तर पिछले सालों की तुलना में काफी कम है।

चंडीगढ़ और पंजाब के शहरों में पहले हवा अक्सर रेड जोन में पहुंच जाती थी, लेकिन अब इन शहरों की हवा ग्रीन और येलो जोन में होने से स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित मानी जा रही है। पिछले साल दीवाली से पहले ही एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 270 तक पहुंच गया था, जबकि इस बार बुधवार को AQI केवल 132 दर्ज किया गया। दीवाली की रात, दो नवंबर को यह बढ़कर 395 तक पहुंचा था।

इस बार दीवाली पर भी प्रदूषण ज्यादा बढ़ने की संभावना कम है। ग्रीन पटाखे जलाने की मंजूरी भी सिर्फ दो घंटे की ही रहेगी। प्रदूषण कम रहने का मुख्य कारण लंबी बारिश का दौर है। अक्टूबर के पहले सप्ताह की लगातार बारिश ने हवा को साफ कर दिया। इसके अलावा, पंजाब में पराली जलने के मामले भी पिछले सालों के मुकाबले कम हैं। बाढ़ से धान की पैदावार घटने के कारण पराली की मात्रा भी कम हुई है।

देश का दिल प्रदूषण की चपेट में

हालांकि चंडीगढ़ और आसपास के शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक है, दिल्ली में स्थिति अभी भी चिंताजनक है। बुधवार को आनंद विहार दिल्ली स्टेशन पर AQI 361 दर्ज किया गया, जो पूरे देश में सबसे अधिक है। हरियाणा और पंजाब के कुछ शहरों जैसे करनाल, कुरुक्षेत्र, अमृतसर में भी AQI लगभग 100 के आसपास है। इससे साफ है कि दिल्ली में प्रदूषण का कारण केवल पराली जलाना नहीं है।

प्रमुख शहरों में बुधवार का प्रदूषण स्तर

  • चंडीगढ़: 132
  • पंचकूला: 144
  • दिल्ली: 233
  • गुरुग्राम: 251
  • नोएडा: 318
  • करनाल: 91
  • लुधियाना: 114
  • अमृतसर: 48
  • पटियाला: 112

तीन दिन से शहर का प्रदूषण स्तर

  • बुधवार: 132 (येलो जोन)
  • मंगलवार: 102
  • सोमवार: 107
  • रविवार: 86

तापमान और नमी का असर

जैसे-जैसे तापमान कम हो रहा है और हवा में नमी बढ़ रही है, PM2.5 और PM10 के कणों की मात्रा भी बढ़ सकती है। बुधवार को अधिकतम तापमान 32.8°C और न्यूनतम 19.4°C दर्ज किया गया। इससे आने वाले दिनों में प्रदूषण बढ़ने की संभावना है।

पराली जलाने में कमी

चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर प्रो. रविंद्र खैवाल ने बताया कि लंबी बारिश और सभी हितधारकों के समन्वित प्रयासों से वायु प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण हुआ है। पराली जलाने के मामलों में भी कमी आई है।

पंजाब में 2024 की तुलना में 64.9% कमी, 2012 की तुलना में 89%

हरियाणा में 2024 की तुलना में 62.6% कमी, 2012 की तुलना में 77.8%

इसका मतलब है कि वर्ष दर वर्ष प्रयासों से हवा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।

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