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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : सारों गांव की सुबह अब सूरज की रोशनी से नहीं, बल्कि पानी की लाइन में लगने से होती है। पिछले 15 दिनों से गांववाले बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। एक ओर जहां पहले गंदा पानी आ रहा था, अब हालत ये है कि नलों में पानी आना ही बंद हो गया है।

गांव की महिलाएं जैसे कमलेश रानी, कमलजीत कौर, बलविंदर कौर और बरखा बताती हैं कि वे बाल्टी लेकर सुबह से शाम तक पानी के इंतज़ार में खड़ी रहती हैं। पशुओं के लिए तो पानी की व्यवस्था लगभग नामुमकिन हो गई है, कई जानवर प्यास से तड़प रहे हैं। मजदूरी पर जाने से पहले और लौटने के बाद हर दिन यही संघर्ष चलता है।

गांव का ही एक युवक, गुरविंदर सिंह, अपनी जिम्मेदारी समझते हुए हर दिन दो बार टैंकर से पानी ला रहा है। वह बिना किसी स्वार्थ के अपने गांववासियों की मदद कर रहा है। लेकिन यह कोई स्थायी समाधान नहीं है।

बुजुर्ग महिलाएं बताती हैं कि यही एकमात्र सहारा बचा है — गुरविंदर का टैंकर। वहीं गांव के युवा हरविंदर, बलविंदर और मेहर सिंह सरकार से मांग कर रहे हैं कि जलापूर्ति विभाग इस संकट का स्थायी हल निकाले।

जल विभाग के एसडीओ दीपेश गोयल ने बताया कि गांव की टंकी के बोरवेल में तकनीकी गड़बड़ी आई थी, जिससे पानी में मिट्टी घुल गई थी। अब एक नया ट्यूबवेल लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एस्टीमेट तैयार किया जा चुका है और जल्द ही टेंडर पास होकर काम भी शुरू होगा।

गांव के लोग उम्मीद में हैं कि जल्द ही यह कठिन समय बीतेगा और उन्हें फिर से शुद्ध पेयजल मिलना शुरू होगा। तब तक गुरविंदर जैसे नायक, अपनी सेवा भावना से पूरे गांव के लिए उम्मीद की किरण बने हुए हैं।