Prabhat Vaibhav,Digital Desk : गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के शिक्षक की बेटी संपदा तिवारी ने महज 16 वर्ष की उम्र में यूनिसेफ फोरसाइट फेलो बनकर इतिहास रच दिया है। आरएएन पब्लिक स्कूल की कक्षा 12 की छात्रा संपदा ने केन्या के नैरोबी में आयोजित यूनीसेफ इनोचेंटी की लीडिंग माइंड्स कांफ्रेंस 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
यह सम्मेलन शिक्षा, नीति और युवाओं से जुड़े विषयों पर यूनीसेफ का सबसे प्रतिष्ठित वैश्विक आयोजन माना जाता है। संपदा का चयन दुनिया भर के 6000 से अधिक आवेदकों में से हुआ। वे इस फेलोशिप में शामिल केवल 15 यूथ फेलोज में से एक हैं — और सबसे कम उम्र की फेलो होने के साथ-साथ पहली भारतीय भी बनी हैं जिन्हें यह सम्मान मिला है।
किशोरियों की शिक्षा पर केंद्रित उनका शोध
संपदा का शोध भारत की किशोर लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर आधारित है। उन्होंने अपने प्रोजेक्ट में यह दिखाने की कोशिश की है कि कैसे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बाधाएं लड़कियों की शिक्षा पर असर डालती हैं, और इन्हें दूर करने के लिए नीति स्तर पर कौन-से कदम जरूरी हैं।
परिवार से मिली प्रेरणा
संपदा के पिता डा. भास्कर तिवारी, विश्वविद्यालय में सह निदेशक (शारीरिक शिक्षा) हैं, जबकि माता डा. रश्मि तिवारी, कृषि महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं। दोनों ही शिक्षण जगत से जुड़े होने के कारण संपदा को बचपन से ही शोध और शिक्षा के प्रति गहरी रुचि रही है।
भविष्य के लिए नई उम्मीद
संपदा तिवारी की यह उपलब्धि न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी सफलता यह साबित करती है कि उम्र अवसरों की सीमा नहीं होती — जुनून, मेहनत और सोच से दुनिया में किसी भी स्तर पर पहचान बनाई जा सकती है।




