
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पितृ पक्ष पितरों को याद करने का काल होता है। इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025 से शुरू होकर 21 सितंबर को समाप्त होगा। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दौरान श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण करना महत्वपूर्ण होता है। इससे परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। लेकिन इस बार पितृ पक्ष में दो ग्रहणों का साया मंडरा रहा है। ऐसे में जानिए अभी से क्या सावधानियां बरतनी होंगी।
पितृ पक्ष पर 2 ग्रहणों की छाया
पितृ पक्ष में होने वाली दो प्रमुख खगोलीय घटनाएं 100 वर्षों के बाद हो रही हैं, जहां पितृ पक्ष की शुरुआत और समाप्ति ग्रहण से होती है।
पितृ पक्ष का पहला ग्रहण - चंद्र ग्रहण
पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से होगी। 7 सितंबर को भारतीय समयानुसार यह चंद्र ग्रहण रात 9:58 बजे लगेगा और 1:26 बजे समाप्त होगा। इस दौरान चंद्रमा का रंग लाल दिखाई देगा, जिसे खगोल विज्ञान में ब्लड मून कहा जाता है। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा।
पितृ पक्ष का दूसरा ग्रहण - सूर्य ग्रहण
पितृ पक्ष का समापन सूर्य ग्रहण के साथ होगा। 21 सितंबर को भारतीय समयानुसार, यह सूर्य ग्रहण रात 10:59 बजे शुरू होगा और लगभग 3:23 बजे तक रहेगा। चूँकि यह रात्रि में होगा, इसलिए यह भारत में दिखाई नहीं देगा।
भारत में दिखेगा ग्रहण, न करें ये गलती
- पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म किए जाते हैं, मंदिर में दान दिया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है, लेकिन इस वर्ष पितृ पक्ष के पहले श्राद्ध यानी पूर्णिमा के श्राद्ध पर भारत में चंद्रग्रहण दिखाई देगा।
- चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। सूतक काल से लेकर ग्रहण समाप्ति तक कुछ कार्यों की मनाही होती है। ऐसे में इस दौरान मंदिर न जाएं, ब्राह्मणों को भोजन न कराएं, इस दौरान भोजन भी नहीं पकाया जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद ही पितरों के लिए दान करें।
- गर्भवती महिलाओं को सूतक काल से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि इसका शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।