Prabhat Vaibhav,Digital Desk : सनातन परंपरा में हर शुभ कार्य की शुरुआत शुभ मुहूर्त देखकर की जाती है। इसी तरह, जब घर बनाने की बात आती है, तो वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना बेहद ज़रूरी है। खासकर अगर आपका प्लॉट दक्षिणमुखी हो। वास्तु के अनुसार, दक्षिण दिशा को यम और पितरों की दिशा माना जाता है, इसलिए इस दिशा में घर बनाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
यदि आपका घर या प्लॉट दक्षिणमुखी है, तो मुख्य द्वार पूर्व, उत्तर या दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और नकारात्मक प्रभाव कम होता है। इसके अलावा, उत्तरमुखी घर शुभ माना जाता है, क्योंकि उत्तर दिशा को समृद्धि और सुख की दिशा माना जाता है।
दक्षिणमुखी घर के वास्तु दोषों को दूर करने के लिए कुछ सरल और प्रभावी उपाय करने चाहिए, जैसे मुख्य द्वार के दोनों ओर स्वस्तिक चिह्न बनाना और प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश या हनुमान की मूर्ति रखना। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, घर में शुभता आती है और सुरक्षा का वातावरण बनता है।
दक्षिण दिशा में नीम का पेड़ लगाना बहुत शुभ माना जाता है। यह पेड़ न केवल वायु को शुद्ध करता है, बल्कि वास्तु दोषों को भी कम करता है। उत्तर या पूर्व दिशा में शयनकक्ष का होना भी शुभ माना जाता है। यदि मुख्य शयनकक्ष उत्तर दिशा में है, तो उसे घर के मुखिया को सौंप दें। यह अधिक लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
अगर आपका घर दक्षिणमुखी है, तो इन वास्तु नियमों और उपायों का पालन करें। यमराज और अपने पितरों की श्रद्धापूर्वक पूजा करें और समय-समय पर दान-दक्षिणा दें। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और आपके घर में सुख, समृद्धि और शांति आएगी।




