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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिधनू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। बीते बुधवार को बिधनू सीएचसी में स्टाफ नर्स द्वारा कथित तौर पर बाहर से मंगवाकर लगाया गया एक इंजेक्शन प्रसूता की मौत का कारण बन गया। इस गंभीर घटना की गहन पड़ताल करने के लिए शुक्रवार सुबह खुद मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) हरिदत्त नेमी बिधनू सीएचसी पहुंचे। उन्होंने तत्काल सभी स्टाफ नर्सों को तलब किया और उनकी घोर लापरवाही पर उन्हें कड़ी फटकार लगाई। सीएमओ ने दो टूक शब्दों में कहा कि किसी भी स्टाफ नर्स को बाहर से दवा लिखने या मंगवाने का कोई अधिकार नहीं है, और यदि बाहर से मंगाई गई किसी दवा के कारण मरीज को कोई अनहोनी होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी स्टाफ नर्स की ही होगी। उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक को इस गंभीर मामले में आरोपी नर्स के खिलाफ तुरंत रिपोर्ट बनाकर भेजने का सख्त निर्देश दिया है, जो यह दर्शाता है कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रहा है।

ऑपरेशन के 15 घंटे बाद हुई प्रसूता की दर्दनाक मौत, उठे कई सवाल!

यह दुखद घटना रमजीपुरवा गांव निवासी किसान कमलेश कुमार की 30 वर्षीय पत्नी पूजा के साथ हुई। बुधवार की सुबह ऑपरेशन के मात्र 15 घंटे बाद पूजा की दर्दनाक मौत हो गई, जिसने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। पूजा के परिजनों ने स्टाफ नर्स सीमा वर्मा पर घोर लापरवाही और जानबूझकर बाहर से इंजेक्शन मंगवाकर लगाने का गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इंजेक्शन लगने के दस मिनट के भीतर ही पूजा की तबीयत बिगड़ने लगी और देखते ही देखते उसकी मौत हो गई। हालांकि, इस दर्दनाक घटना के बाद, शुरू में परिजनों ने किसी भी तरह की कानूनी या विभागीय कार्रवाई से इनकार करते हुए शव को अंतिम संस्कार के लिए ले गए थे। इसके बावजूद, घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) रवींद्र प्रताप मिश्रा ने इस पूरे मामले में स्टाफ नर्स के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश पहले ही जारी कर दिए थे, जिससे इस केस को और बल मिला है।

सीएमओ ने लिया मोर्चा: बिधनू सीएचसी में घंटों चली गहन पड़ताल!

शुक्रवार सुबह जब सीएमओ हरिदत्त नेमी बिधनू सीएचसी पहुंचे, तो वहां प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया। उन्होंने इस दुखद घटना के संबंध में आरोपित नर्स सीमा वर्मा सहित सीएचसी की सभी स्टाफ नर्सों को इकट्ठा कर उनसे विस्तार से पूछताछ की। इस दौरान सीएमओ ने भविष्य के लिए भी सख्त हिदायत दी कि वे किसी भी सूरत में बाहर से कोई दवा न तो लिखें और न ही किसी मरीज से मंगवाएं। उन्होंने साफ कहा कि अगर कोई दवा अस्पताल में उपलब्ध नहीं है या किसी विशेष स्थिति में तत्काल परामर्श की आवश्यकता है, तो सीएचसी में मौजूद आपातकालीन डॉक्टरों की तुरंत मदद लें। इससे यह साफ होता है कि मरीजों के जीवन से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सीएमओ ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नीरज सचान से भी घटना को लेकर चल रही जांच की पूरी जानकारी ली। उन्होंने डॉ. सचान को जल्द से जल्द जांच पूरी करके विस्तृत रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए। इसके बाद, सीएमओ ने खुद पूरे सीएचसी का गहन निरीक्षण किया। उन्होंने ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट), लैब और भर्ती मरीजों के वार्ड का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उपस्थिति रजिस्टर की भी बारीकी से जांच की गई, ताकि स्टाफ की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। लगभग दो घंटे से अधिक समय तक चले इस विस्तृत निरीक्षण के बाद सीएमओ वहां से निकले। इस पूरे घटनाक्रम ने कानपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, और अब देखना होगा कि इस मामले में और क्या खुलासे होते हैं और आरोपितों के खिलाफ क्या कठोर कार्रवाई की जाती है। यह घटना अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा और मेडिकल स्टाफ की जवाबदेही पर नए सिरे से बहस छेड़ रही है।