
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : आज की 21वीं सदी में जहां देश तकनीक और आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहा है, वहीं ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास के चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। ऐसी ही एक घटना पाटन जिले के सिद्धपुर तालुका के लुखासन गांव में हुई, जहां अंधविश्वास के चलते एक भतीजे ने अपने चचेरे चाचा पर जानलेवा हमला कर उसे जान से मारने की कोशिश की।
अंधविश्वास और बदला: एक समयरेखा
लुखासन गाँव में रहने वाले आरोपी किशन ने भुवाजी से मदद माँगी थी क्योंकि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति लंबे समय से अच्छी नहीं थी और उसके परिवार के सदस्य अक्सर बीमार रहते थे। भुवाजी ने बताया कि उसे 'देवदुख' है और उसने इससे मुक्ति के लिए एक अनुष्ठान करने की बात कही। हालाँकि, आरोपी किशन के चचेरे भाई, जीवाभाई देवीपूजक, जो एक सामाजिक नेता भी थे, इससे सहमत नहीं थे और उन्होंने देवदुख से मुक्ति के लिए अनुष्ठान करने की अनुमति नहीं दी।
इसी बीच, लगभग एक वर्ष पूर्व, आरोपी किशन की माँ की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। माँ की मृत्यु के बाद, किशन के मन में यह गांठ पड़ गई कि उसकी माँ की मृत्यु बीमारी के कारण नहीं, बल्कि उसके पिता के दुःख के कारण हुई है, और यह उसके चाचा जीवाभाई द्वारा उसे इस दुःख से मुक्त न होने देने का परिणाम है। इसी दुःख को ध्यान में रखते हुए, 7 जुलाई की रात, किशन ने अपने अकेलेपन का फायदा उठाकर, घर के आँगन में सो रहे अपने चाचा जीवाभाई पर लाठी से प्राणघातक हमला कर दिया। उसके सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें पहुँचाकर आरोपी फरार हो गया।
पुलिस कार्रवाई और आरोपियों की गिरफ्तारी
हमले के बाद, घायल जीवाभाई के बेटे जितेंद्र देवीपूजक ने सिद्धपुर पुलिस स्टेशन में एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। घटना की गंभीरता को देखते हुए, सिद्धपुर पुलिस ने अलग-अलग टीमें बनाकर जांच शुरू की। तकनीकी निगरानी, मानव स्रोत, एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) और डॉग स्क्वायड की मदद से जांच की गई और कई लोगों से पूछताछ की गई। इस दौरान पुलिस को निजी तौर पर पता चला कि किशन संपतभाई देवीपूजक नाम के एक व्यक्ति ने इस घटना को अंजाम दिया है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी किशन देवीपूजक को सरस्वती नदी के किनारे से पकड़ लिया और थाने लाकर उससे पूछताछ शुरू कर दी।
आरोपी का कबूलनामा और चौंकाने वाला खुलासा
पुलिस की गहन पूछताछ में आरोपी किशन ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसने बताया कि उसने अंधविश्वास और बदले की भावना से अपने चचेरे चाचा पर जानलेवा हमला किया था। उसने कबूल किया कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने और सदस्यों की तबियत खराब होने के कारण उसने दो साल पहले भुवाजी से शादी की थी। भुवाजी ने बताया था कि उसके पास 30 साल का एक देवदुख है और उसने उससे माता वालवा की रस्म करने को कहा था। लेकिन चाचा जीवाभाई, एक सामाजिक नेता होने के नाते, इसे स्वीकार नहीं किया और रस्म नहीं होने दी।
इसी बीच, लगभग एक साल पहले किशन की माँ की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद, किशन को शक हुआ कि उसकी माँ की मृत्यु बीमारी से नहीं, बल्कि उसके पिता के दुःख के कारण हुई है, और यह उसके चाचा जीवाभाई द्वारा उसे उस दुःख से मुक्त न होने देने का परिणाम था। इसी दुःख को मन में लिए उसने 7 जुलाई की रात अपने चाचा पर हमला कर दिया।
पीड़िता की स्थिति और समाज के लिए एक संदेश
हमले में जीवाभाई देवीपूजक की दाहिनी आँख के नीचे, गाल और चेहरे पर गंभीर चोटें आई हैं। उनका अस्पताल के आईसीयू में इलाज चल रहा है और वे ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। पुलिस ने आरोपी किशन देवीपूजक को गिरफ्तार कर लिया है और अपराध की गुत्थी सुलझाने के लिए आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
यह घटना समाज के लिए एक खतरे की घंटी की तरह है। 21वीं सदी में भी लोग अंधविश्वास में विश्वास करके ऐसे गंभीर अपराध कर रहे हैं। परिवार वालों के मुताबिक, पिता से झगड़ा होने के बाद किशन काफी समय से दूसरी जगह रह रहा था, लेकिन 15 दिन पहले ही जीवाभाई के पास रहने आया था। माँ की मौत के बाद से ही उसके मन में यह अंधविश्वास घर कर गया था। इस मामले में भी एक परिवार को अंधविश्वास के चलते काफी परेशानी झेलनी पड़ी है, और अब आरोपियों के जेल जाने की बारी है।