img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड में मानसून की चाल इस बार मिली-जुली रही है। जुलाई के महीने में कुछ जिलों में सामान्य से कहीं ज़्यादा बारिश हुई, तो वहीं कुछ जिलों में मानसून की सक्रियता औसत से भी नीचे रही। समग्र रूप से, इस माह प्रदेश में औसत बारिश सामान्य से 16 प्रतिशत कम दर्ज की गई। हालांकि, पूरे मानसून सीजन (एक जून से अब तक) में बारिश सामान्य ही रही है, जहाँ कुल 590 मिमी बारिश दर्ज हुई, जबकि सामान्य 594 मिमी थी। मौसम विभाग ने आशंका जताई है कि अगस्त में सामान्य से ज़्यादा बारिश हो सकती है, जिससे खासकर मैदानी जिलों में चिंता बढ़ सकती है।

बागेश्वर 'जलमग्न', अल्मोड़ा 'सूखा'! जिलेवार बारिश के आंकड़ों का 'खेल'!

प्रदेश में सबसे ज़्यादा बारिश बागेश्वर जिले में दर्ज की गई, जहाँ जुलाई में 676.5 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य (274.2 मिमी) से 147 प्रतिशत अधिक है। बागेश्वर के साथ-साथ, रुद्रप्रयाग (564.2 मिमी, +2%), नैनीताल (622.5 मिमी, +10%) और पौड़ी गढ़वाल (481.1 मिमी, +8%) में भी बारिश सामान्य से ज़्यादा रही। इसके विपरीत, सबसे कम बारिश अल्मोड़ा जिले में हुई, जहाँ कुल 266.4 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य (274.2 मिमी) से मामूली रूप से तीन प्रतिशत कम है। चंपावत (263.5 मिमी, -44%) और उत्तरकाशी (292.3 मिमी, -29%) जैसे कुछ जिलों में भी जुलाई में औसत से कम बारिश दर्ज की गई। देहरादून में 337.6 मिमी (सामान्य से -31%) और हरिद्वार में 352.6 मिमी (सामान्य से -1%) बारिश हुई।

मानसून सीजन में 'संतुलन', पर 'अगस्त' की आहट 'चिंता'जनक!

जुलाई के आंकड़े भले ही कुछ चिंताजनक लगें, लेकिन समग्र मानसून सीजन (एक जून से अब तक) के आंकड़े कुछ हद तक संतुलित नजर आ रहे हैं। बागेश्वर जिले में इस सीजन में 1250.7 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 197 प्रतिशत अधिक है। चमोली (639 मिमी, +74%) और चंपावत (460.1 मिमी, +25%) में भी अच्छी बारिश हुई है। वहीं, हरिद्वार (-41%), ऊधम सिंह नगर (-33%), देहरादून (-5%) जैसे मैदानी जिलों में कम बारिश दर्ज की गई है। मौसम विभाग की अगस्त में सामान्य से अधिक बारिश की आशंका, विशेषकर मैदानी इलाकों में बाढ़ या जलभराव जैसी स्थिति पैदा कर सकती है। सरकार को आगामी बारिश के पूर्वानुमान के मुताबिक तैयारी करनी चाहिए, ताकि किसी भी संभावित आपदा का सामना किया जा सके।