img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई नए स्वास्थ्य जोखिम उभर रहे हैं। इन्हीं में से एक है बांझपन। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक हालिया रिपोर्ट में इस समस्या के बारे में चौंकाने वाले आँकड़े पेश किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में प्रजनन आयु वर्ग के हर 6 में से 1 वयस्क बांझपन से पीड़ित है। यह आँकड़ा न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए, बल्कि समाज और परिवार के लिए भी बेहद चिंताजनक है।

क्या कहती है WHO की रिपोर्ट? 
WHO ने अपनी पहली वैश्विक मूल्यांकन रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया में औसतन 17.5 प्रतिशत लोग बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं। यानी हर 6 में से 1 वयस्क को यह समस्या है। पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में बांझपन की दर सबसे ज़्यादा 23.2 प्रतिशत है। अमेरिका में यह आँकड़ा लगभग 20% है। यूरोप में 16.5 प्रतिशत और अफ्रीका में 13.1 प्रतिशत लोग बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं, पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में यह दर सबसे कम 10.7 प्रतिशत है।

बांझपन की परिभाषा 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यदि कोई दम्पति 12 महीने तक असुरक्षित संभोग के बाद भी गर्भधारण करने में असमर्थ रहता है, तो उसे बांझपन कहा जाता है।

क्या हो सकते हैं कारण? 
रिपोर्ट के अनुसार, कभी-कभी बांझपन का स्पष्ट कारण पता नहीं चल पाता। लेकिन कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हो सकते हैं।

आनुवंशिक समस्याएं,
हार्मोनल असंतुलन,
कैंसर या अन्य बीमारियों का इलाज,
मोटापा और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली,
प्रदूषण और रसायनों के संपर्क में आना,
किसी भी कारण की पहचान करना मुश्किल हो जाता है

उपचार और चुनौतियाँ
आजकल दम्पति आईवीएफ और अन्य प्रजनन तकनीकों के माध्यम से माता-पिता बन सकते हैं। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये उपचार बहुत महंगे हैं और कई देशों में आम लोगों की पहुँच से बाहर हैं। यही वजह है कि कई परिवार आर्थिक तंगी में फँस जाते हैं।

महिलाओं पर प्रभाव और सामाजिक कलंक 
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बांझपन से पीड़ित महिलाओं को न केवल मनोवैज्ञानिक दबाव का सामना करना पड़ता है, बल्कि अक्सर समाज में कलंक, भेदभाव और हिंसा का भी सामना करना पड़ता है।

विशेषज्ञ की राय:
बांझपन किसी को भी हो सकता है। यह भेदभाव नहीं करता। अब ज़रूरत इस बात की है कि सभी को किफ़ायती और सुरक्षित प्रजनन उपचार उपलब्ध हों।