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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : वजीरगंज विधानसभा में चुनावी बिगुल आधिकारिक तौर पर अभी नहीं बजा है, लेकिन जमीनी संघर्ष पहले ही शुरू हो चुका है। भाजपा विधायक वीरेंद्र सिंह ने मंगलवार को विकास के नाम पर जो शिलान्यास किए, उसने पूरे इलाके में सियासी तापमान अचानक बढ़ा दिया। मुख्यमंत्री समग्र शहरी विकास योजना के तहत शुरू हुई 10 परियोजनाओं ने साफ कर दिया कि अब चुनाव सिर्फ बूथ तक सीमित नहीं, बल्कि नेता की छवि और कामकाज पर भी निर्भर होगा।
मानपुर प्रखंड, गयाजी नगर निगम और राणा नगर के वार्ड 50 से 53 तक पीसीसी सड़क, नाला और अन्य अपग्रेडेशन परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया। इसके अलावा, जनकपुर, राणानगर अजय सिंह के आवास के पास पीसीसी पथ, प्रो. राजेंद्र सिंह बुढ़ी के पास सड़क-नाला और मनोकामना मंदिर से बुढ़िया प्रेस रोड तक कई योजनाएं शुरू हुईं। कुल बजट करोड़ों में है, जिसमें अकेले इन परियोजनाओं की लागत 2 करोड़ 58 लाख रुपए तक आंकी गई है।
पिछले 2-3 महीनों में विधायक वीरेंद्र सिंह ने दर्जनों करोड़ों रुपए की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया है। स्थानीय चर्चा में ये तेजी देखकर कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता कि चुनाव अभी साल भर दूर है। समर्थक इसे “विकास की वैक्सीन” बता रहे हैं, जबकि विरोधी इसे “चुनावी इंजेक्शन” करार दे रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में मिट्टी, सीमेंट, जेसीबी और पटका-बैनर इस समय पोस्टरबाजी से ज्यादा चर्चा में हैं।
रणनीति साफ, संदेश स्पष्ट: वोट से पहले काम का शॉट
वजीरगंज में पिछले पांच सालों की अधूरी मांगों को प्राथमिकता दी जा रही है। इनमें मानपुर सिक्स लेन पुल से मेहता पेट्रोल पंप तक फ्लाईओवर ब्रिज शामिल है, जिसकी मिट्टी टेस्टिंग का काम भी शुरू हो चुका है। इस पुल के बनने से जाम की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी।
जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी विधायक इसी रफ्तार से परियोजनाएं लॉन्च कर रहे हैं ताकि वोट से पहले लोगों को उनके काम का अनुभव हो। भाजपा का संगठनात्मक तंत्र पूरी तरह सक्रिय है। फोटो, वीडियो, जनसभा, वार्ड विजिट और इंटरनेट मीडिया के जरिए हर कार्यक्रम को जनता से जोड़ने की तैयारी हो रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस बार जनता हिसाब-बही खोलकर देख रही है। इसलिए विधायक लगातार पंचायत दर पंचायत जाकर सर्वे, उद्घाटन और संवाद कर रहे हैं।
विपक्ष की चुनौती: वोट दिखते ही विकास याद आया
इस बार मुकाबला साफ-साफ दिखाई दे रहा है। महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी शशि शेखर सिंह पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं। पिछली बार मामूली अंतर से हारने के बाद इस बार उनका अभियान और भी धारदार है। वे गांव-गांव जनसंवाद कर रहे हैं, युवाओं की बैठकें कर रहे हैं, बूथ कार्यकर्ताओं के सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं और चौपाल स्तर पर सीधे संपर्क बना रहे हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि सड़क और नाली के नाम पर चुनावी महोत्सव शुरू किया गया है। कई सालों से रुकी परियोजनाओं पर अब इसलिए मुहर लगाई जा रही है क्योंकि वोट आने वाले हैं। भाजपा इसे “विकास का सिलसिला” बताते हुए विपक्ष की बेचैनी मान रही है।
विकास की बारिश वोटों में बदलेगी या विपक्ष काट लेगा गणित?
वजीरगंज में अब सबसे ज्यादा दोहराई जाने वाली लाइन यही है कि शिलान्यास चुनावी चौका है या बैकफुट का बचाव। एक तरफ सत्ता पक्ष विकास की गली मजबूत कर रहा है, वहीं विपक्ष जमीन पर पकड़ बनाने की कोशिश में लगा है।
2025 का महासमर यहां मंच पर नहीं, बल्कि सड़कों, नालियों और जनता के मूड पर तय होता दिख रहा है।