
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : शराब न केवल लीवर के स्वास्थ्य के लिए, बल्कि पूरे शरीर और मस्तिष्क के लिए भी खतरनाक हो सकती है। लोग अक्सर सोचते हैं कि कभी-कभार बीयर या वाइन पीना नुकसानदेह नहीं है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, शराब का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है। यह एक ज़हरीला और मनो-सक्रिय पदार्थ है जो लत और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
मस्तिष्क पर शराब का प्रभाव
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि शराब लंबे समय में निर्णय लेने की क्षमता को कमज़ोर कर सकती है और निर्णय लेने की शक्ति को तुरंत प्रभावित कर सकती है। यह आपकी तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती है। यह शरीर की ऊर्जा बनाने वाली मशीनों, माइटोकॉन्ड्रिया, पर असर डालती है। जिससे दिमाग की याददाश्त कमज़ोर हो जाती है और डिमेंशिया का ख़तरा बढ़ जाता है। साथ ही, दिमाग धीरे-धीरे सिकुड़ने लगता है। इसके अलावा, शराब दिमाग के रासायनिक संतुलन को बदल देती है, जिससे अवसाद, चिंता और मूड स्विंग जैसी मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। शराब की थोड़ी सी मात्रा भी संज्ञानात्मक कार्य और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है।
शराब वजन घटाने में बाधा डालती है
अगर आप मोटापा कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो शराब वसा के ऑक्सीकरण को रोकती है, यानी यह आपके फिटनेस लक्ष्यों में बाधा डालेगी। ये खाली कैलोरी हैं जिनमें कोई पोषण नहीं होता। इसके अलावा, शराब पीने से बार-बार और अनियंत्रित खाने की आदत बढ़ जाती है, जिससे वजन बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।
शराब पीने के अधिक जोखिम
शराब पीने से वज़न बढ़ता है। इसके अलावा, यह अनियंत्रित खानपान को बढ़ावा देता है। वहीं दूसरी ओर, शराब पीने से नींद की गुणवत्ता खराब होती है, जिससे थकान और मानसिक कमज़ोरी बढ़ती है। इसके अलावा, यह लिवर पर अतिरिक्त भार डालता है और लिवर की बीमारियों का ख़तरा बढ़ाता है। शराब फैटी लिवर जैसी समस्याओं का भी कारण बनती है। इसके अलावा, लंबे समय में, शराब से इंसुलिन प्रतिरोध और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी चयापचय क्षति का ख़तरा भी होता है।