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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : 36 वर्षीय आईटी कंसल्टेंट रजनीश कुमार को इस महीने 103 डिग्री फ़ारेनहाइट बुखार था। उन्हें पाँच दिनों तक दिन में तीन बार डोलो-650 दी गई। हालाँकि, दो दिन बाद भी उनका बुखार कम नहीं हुआ। तीसरे दिन, उन्हें सूजन और दर्द कम करने के लिए डोलो-650 के साथ अतिरिक्त दवा दी गई। चौथे दिन ही उनका बुखार धीरे-धीरे कम होने लगा। रजनीश की तरह, देश भर के अस्पतालों में ऐसे मरीज़ों की संख्या बढ़ी है जिनका बुखार इस मौसम में पैरासिटामोल या डोलो-650 जैसी दवाओं से ठीक नहीं हो रहा है। इन दवाओं को लंबे समय से मौसमी संक्रमणों से बचाव की पहली पंक्ति माना जाता रहा है। आइए जानें ऐसा क्यों हो रहा है।

विषाणुजनित संक्रमण

नई दिल्ली स्थित पीएसआरआई अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. अमित रस्तोगी बताते हैं, "इस मौसम में कुछ वायरल संक्रमण ज़्यादा गंभीर और लगातार हो रहे हैं, इसलिए एक ही दवा सभी मामलों में बुखार को नियंत्रित नहीं कर सकती।" वे आगे कहते हैं कि निर्जलीकरण, पोषक तत्वों की कमी, कम खुराक, या छह घंटे के अंतराल का पालन न करने से भी पैरासिटामोल का असर कम हो सकता है। वे आगे कहते हैं, "हर बुखार वायरल नहीं होता। डेंगू, फ्लू, बैक्टीरियल संक्रमण या टाइफाइड जैसी बीमारियाँ भी हो सकती हैं, जिनके लिए सिर्फ़ पैरासिटामोल पर्याप्त नहीं है।"

डॉक्टर से कब संपर्क करें?

डॉ. रस्तोगी कहते हैं, "अगर उचित खुराक और अंतराल के बावजूद, बुखार 48 घंटे से ज़्यादा बना रहे या तापमान 102-103 डिग्री फ़ारेनहाइट से ऊपर चला जाए, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।" चेतावनी के संकेतों में तेज़ सिरदर्द, सीने में दर्द, साँस लेने में तकलीफ, उल्टी, त्वचा पर चकत्ते, पेट दर्द या अत्यधिक कमज़ोरी शामिल हैं। छोटे बच्चों, बुज़ुर्गों, हृदय रोग, मधुमेह या कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को, मध्यम बुखार होने पर भी, जल्दी जाँच करवानी चाहिए।

मूल कारण क्या हो सकता है? मूत्र मार्ग में संक्रमण

संजीवनी क्लिनिक के निदेशक डॉ. संतोष कुमार बताते हैं कि वायरल स्ट्रेन में बदलाव लंबे समय तक बुखार रहने का एक कारण है, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है। "निमोनिया, मूत्रमार्ग संक्रमण या टाइफाइड जैसी बीमारियाँ भी पैरासिटामोल से ठीक नहीं होतीं।" डॉक्टर सलाह देते हैं कि समस्या केवल लक्षणों को नियंत्रित करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। बुखार के मूल कारण का पता लगाने के लिए रक्त गणना, डेंगू/फ्लू परीक्षण या छाती का एक्स-रे जैसे परीक्षण आवश्यक हो सकते हैं।

उपचार और देखभाल

पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, आराम करना, और तापमान व ऑक्सीजन की निगरानी जैसे सहायक उपाय अभी भी ज़रूरी हैं। अगर बैक्टीरिया का कारण पता चलता है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स लिख सकते हैं। लगातार वायरल बुखार के लिए अन्य ज्वरनाशक दवाओं या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। डॉ. रस्तोगी कहते हैं, "हर मरीज़ की स्थिति अलग होती है। शुरुआती निदान और उचित उपचार ज़रूरी है।" हल्के बुखार में पैरासिटामोल काम करता है, लेकिन अगर थर्मामीटर लगातार बढ़ता रहे, तो सिर्फ़ दवा ही काफ़ी नहीं है। मूल कारण का पता लगाएँ और डॉक्टर से सलाह लें।