
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : शारदीय नवरात्रि आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होती है। नवरात्रि का चौथा दिन देवी कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन आदिशक्ति के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है। इनकी पूजा से दुःख, पाप और दरिद्रता दूर होती है। ऐसा माना जाता है कि देवी कूष्मांडा ने अपनी कोमल मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी।
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि नौ दिनों की बजाय दस दिनों की होगी, क्योंकि तृतीया तिथि दो दिन पड़ रही है। इसलिए 24 और 25 सितंबर को देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी, जबकि 26 सितंबर को देवी कूष्मांडा की पूजा की जाएगी। आइए जानते हैं देवी दुर्गा के इस चौथे स्वरूप की पूजा से जुड़ी सभी जानकारियाँ।
देवी कुष्मांडा का रूप
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कूष्मांडा की पूजा करने से कुंडली में बुध ग्रह की शुभता प्राप्त होती है। देवी कूष्मांडा के आठ हाथ हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजाधारी भी कहा जाता है। देवी अपने एक हाथ में माला धारण करती हैं, जबकि अन्य सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा धारण करती हैं। नवरात्रि के चौथे दिन, भक्त सुख, समृद्धि, तेज और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए माँ कूष्मांडा की पूजा विधि-विधान से करते हैं।
माँ कुष्मांडा पूजा मुहूर्त
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:33 बजे से 5:21 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा। इसके बाद विजय मुहूर्त दोपहर 2:12 बजे से 3:00 बजे तक रहेगा।
माँ कुष्मांडा पूजा अनुष्ठान
सुबह स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण करें। सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें। देवी की मूर्ति को लकड़ी के पाट पर पीले कपड़े से ढँककर रखें। देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर पूजा शुरू करें। देवी को वस्त्र, फूल, फल, नैवेद्य, भोग, मिठाई आदि अर्पित करें। माँ कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाना शुभ होता है, क्योंकि यह उनका प्रिय प्रसाद है। इसके बाद धूप-दीप जलाएँ, मंत्र का जाप करें और आरती करें।
माँ कुष्मांडा पूजा मंत्र
- ॐ देवी कुष्मांडायै नमः
- कुष्मांडा: ऐं ह्रीं देव्यै नम:
नवरात्रि दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा में उन्हें पीले रंग की वस्तुएं अर्पित करें। यह देवी का प्रिय रंग है और उन्हें शीघ्र प्रसन्न करता है। नवरात्रि के चौथे दिन देवी को पीले वस्त्र, पीला सिंदूर, पीली चूड़ियाँ, पीली बिंदी, पीले फल, पीली मिठाई आदि अर्पित करें। आप भी पीले वस्त्र धारण करके माँ की पूजा करें।
माँ कुष्मांडा आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो रानी।
पिगल्ला ज्वालामुखी निराली।
शाकंभरी माँ भोली भाली। लाखों नाम निराले तेरे।
आपके भक्तों के अनेक मत हैं।
भीम पर्वत पर एक शिविर है।
मेरी प्रणाम स्वीकार करें।
जगदंबा की बात सभी सुनते हैं।
माँ अम्बे तक खुशियाँ पहुँच रही हैं।
मुझे आपके दर्शन की प्यास है।
मेरी आशा पूरी करो
माँ के मन में ममता भारी है।
आप हमारी विनती क्यों नहीं सुनतीं?
तेरे तार पर किया है डेरा।
माँ संकट मेरा दूर करो।
मेरे कार्य पूर्ण करो
आप मेरे भंडार भर दो।
आपका सेवक आपका सेवक है।
भक्त आपको नमन करते हैं।