अलीगढ़। प्रोफेसर नईमा खातून को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) का वाइस चांसलर नियुक्त किया गया है। इस मशहूर यूनिवर्सिटी के सौ साल के इतिहास में वाइस चांसलर बनने वाली नईमा पहली महिला हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिलने के बाद सोमवार उन्हें एएमयू का वाइस चांसलर नियुक्त किया गया। राष्ट्रपति मुर्मू अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की विजिटर भी हैं। नईमा खातून पांच सालों तक वाइस चांसलर के पद पर रहेंगी। वर्ष 1920 में बेगम सुल्तान जहां एएमयू की चांसलर बनी थी।
जानकारी के मुताबिक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर के चयन का तरीका देश की अन्य केंद्रीय यूनिवर्सिटी से थोड़ा अलग है। एएमयू में वीसी के सेलेक्शन में यूनिवर्सिटी की एग्जिक्यूटिव काउंसिल और कोर्ट की अहम भूमिका होती है। एग्जिक्यूटिव काउंसिल में 27 लोग शामिल होते हैं। ये काउंसिल वाइस चांसलर के पद के लिए आवेदन करने वाले लोगों में से पांच लोगों के पैनल को वोटिंग के जरिए शॉर्टलिस्ट करता है।
शार्टलिस्टिंग के बाद अंतिम पांच नामों को एएमयू कोर्ट को भेजा जाता है। एएमयू कोर्ट के सदस्यों में पूर्व वाइस चांसलर और विभागों के डीन शामिल हैं, जो पैनल में आए पांच नामों पर चर्चा करते हैं। एएमयू कोर्ट उनकी योग्यता आदि के आधार पर तीन लोगों के नामों को फाइनल करता है। कोर्ट इन तीन नामों में से किसी एक को वाइस चांसलर बनाने के लिए शिक्षा मंत्रालय के पास भेज देता है। शिक्षा मंत्रालय इन नामों की सिफारिश राष्ट्रपति से करता है। राष्ट्रपति ही इनमे से एक की नियुक्ति व्व्व्सी के पद पर करता है।
उल्लेखनीय है कि वीसी बनने से पहले नईमा खातून एएमयू के वीमन्स कॉलेज में प्राचार्य के पद पर कार्यरत थीं। उच्च शिक्षा एएमयू से ही पपूरी की है। जानकारी के मुताबिक़ नईमा ने एएमयू से मनोविज्ञान में पीएचडी की है। वर्ष 1988 में वह एएमयू में प्रवक्ता बन गयी। वर्ष 2006 में वह मनोविज्ञान की प्रोफेसर और वर्ष 2014 में वीमन्स कॉलेज की प्राचार्य बनी।