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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार विधानसभा का ताजा शपथ ग्रहण समारोह इस बार कई दृष्टियों से खास रहा। सिर्फ नए विधायकों का स्वागत ही नहीं, बल्कि यह कार्यक्रम राजनीतिक विरासत, सामाजिक प्रतिनिधित्व, महिला सशक्तिकरण और बदलते जनमत का एक जीवंत चित्र भी प्रस्तुत करता है।

कई नेताओं के परिवारों ने इस अवसर पर एक नई पहचान बनाई। किसी की पत्नी, किसी का बेटा, तो किसी की पुत्रवधू और समधन—एक ही मंच पर दो पीढ़ियों का यह प्रतिनिधित्व दिखाता है कि बिहार की राजनीति लगातार बदल रही है। जनता अब नए चेहरे, नई ऊर्जा और नए दृष्टिकोण को भी स्वीकार कर रही है।

राजवल्लभ यादव, बिंदी यादव, बूटन सिंह, उपेंद्र कुशवाहा और अशोक महतो की पत्नियों का विधानसभा में प्रवेश इस बात का संकेत है कि महिलाओं की भूमिका अब केवल सहायक नहीं रही। उन्होंने अपने क्षेत्रों में सक्रिय भागीदारी, सामाजिक संपर्क और जनता के साथ सहज जुड़ाव के आधार पर जनादेश हासिल किया। यह महिला नेतृत्व का वास्तविक स्वरूप है—सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं।

दूसरी पीढ़ी के नेताओं की एंट्री भी उतनी ही महत्वपूर्ण रही। शाहबुद्दीन, प्रभुनाथ सिंह, आनंद मोहन, अरुण कुमार, जगदीश शर्मा, लालू प्रसाद यादव और शकुनी चौधरी के पुत्रों ने युवा दृष्टिकोण, तकनीकी समझ और नए विचारों के साथ जनता का समर्थन पाया। यह दर्शाता है कि राजनीतिक परिवारों की पहचान के साथ-साथ युवा नेतृत्व और आधुनिक सोच अब बिहार की राजनीति का नया आधार बन रही है।

समारोह का सबसे चर्चित दृश्य था पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के परिवार की उपस्थिति। समधन और पुत्रवधू दोनों का विधायक बनकर शपथ लेना राजनीति के सामाजिक विस्तार का उदाहरण है। यह दिखाता है कि प्रतिनिधित्व अब सिर्फ परिवार या जाति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सामाजिक न्याय, दलित नेतृत्व और समावेशी राजनीति को भी नए आयाम मिल रहे हैं।

कुल मिलाकर, इस बार का शपथ ग्रहण समारोह यह संदेश देता है कि बिहार की राजनीति नए संतुलन के दौर में प्रवेश कर रही है। पारिवारिक विरासत अपनी जगह कायम रखते हुए, महिलाओं का उभार, युवाओं का सक्रिय नेतृत्व और सामाजिक विविधता अब विधानसभा की कार्यशैली और नीति निर्माण को अधिक संसदीय, आधुनिक और लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में काम कर रही है।