Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार सरकार ने पेंशन और सेवांत लाभ से जुड़े मामलों पर अब पहले से कहीं अधिक सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। सभी विभागों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि पेंशन और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले अन्य लाभों के मामलों में किसी प्रकार की लापरवाही न हो और अधिकारी-कर्मचारी पूरी सतर्कता बरतें।
सरकार ने कहा है कि इन सभी मामलों की नियमित समीक्षा जरूरी है ताकि सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को समय पर उनका हक मिल सके। राज्य के कई विभागों में हर महीने बड़ी संख्या में कर्मी रिटायर होते हैं, लेकिन कई बार उन्हें समय पर पेंशन या सेवांत लाभ नहीं मिलते। इससे उन्हें आर्थिक और मानसिक दोनों तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई लोग तो मजबूरी में कोर्ट तक पहुंच जाते हैं।
इन्हीं समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने विभागों को सख्त आदेश जारी किया है कि मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालय नियमित तौर पर पेंशन और सेवांत लाभ से जुड़े लंबित मामलों की जांच करें। जहां जरूरत हो, वहां संबंधित कार्यालयों से तुरंत समन्वय बनाकर इन मामलों को निपटाया जाए। किसी भी स्थिति में फाइलें लंबित नहीं रहनी चाहिए।
सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी पेंशन या सेवांत लाभ के मामलों को तीन महीने से अधिक समय तक लंबित रखता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि मामलों में देरी होने से लोग कोर्ट जाते हैं, जिससे सरकार की छवि खराब होती है और अनावश्यक दबाव भी बढ़ता है।
राज्य की “जीरो पेंडेंसी” नीति के तहत पेंशन और सेवांत लाभ को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है। विभागों से कहा गया है कि इस मामले में कोई कोताही स्वीकार नहीं की जाएगी।




