Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पंजाब में पराली जलाने के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं। सोमवार को राज्य में इस सीजन का सबसे ऊंचा आंकड़ा दर्ज हुआ, जब एक ही दिन में 147 जगहों पर पराली जलाई गई। हालांकि मंगलवार को यह संख्या घटकर 43 रह गई, लेकिन पिछले एक हफ्ते में कुल मामलों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो चुकी है।
आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से 20 अक्टूबर तक यानी 35 दिनों में 353 घटनाएं दर्ज हुई थीं, जबकि 21 अक्टूबर के बाद सिर्फ एक हफ्ते में ही 580 नए मामले सामने आए। अब तक कुल 933 जगहों पर पराली जलाने की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि यह संख्या पिछले साल के मुकाबले करीब 57% कम है।
साल 2024 में इसी तारीख तक यानी 28 अक्टूबर तक 2,137 मामले दर्ज हुए थे। इस साल राज्य में करीब 31.72 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की गई थी, जिसमें से लगभग 60% फसल की कटाई पूरी हो चुकी है। यानी अभी भी लगभग 40% खेतों में कटाई बाकी है।
अगले 10 दिन रहेंगे अहम, बढ़ सकती है पराली जलाने की रफ्तार
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे कटाई का काम तेज होगा, पराली जलाने के मामले भी उसी अनुपात में बढ़ेंगे। उनका अनुमान है कि आने वाले 10 से 15 दिनों में ऐसी घटनाएं और तेजी से बढ़ सकती हैं।
पराली के धुएं से हवा की हालत बिगड़ी
पराली जलाने की वजह से राज्य के कई शहरों में हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है। दीवाली के बाद अमृतसर और जालंधर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 के पार पहुंच गया था, जबकि लुधियाना की हवा भी “गंभीर” श्रेणी में दर्ज की गई थी।
मंगलवार को मिले आंकड़ों के मुताबिक —
- अमृतसर: AQI 187
- बठिंडा: AQI 111
- जालंधर: AQI 132
- लुधियाना: AQI 139
- मंडी गोबिंदगढ़: AQI 167
- पटियाला: AQI 121
पिछले तीन सालों में पराली जलाने में कमी
हालांकि इस साल पराली जलाने के मामले बढ़े हैं, लेकिन अगर पिछले तीन सालों की तुलना की जाए तो इनमें गिरावट दर्ज की गई है।
- 2022 में: 49,922 मामले
- 2023 में: 36,663 मामले (लगभग 26% की कमी)
- 2024 में: 10,909 मामले (2023 से 70% और 2022 से 77% की कमी)
इससे साफ है कि हालात पूरी तरह सुधरे नहीं हैं, लेकिन प्रयासों का असर जरूर दिख रहा है। अब देखना यह है कि आने वाले हफ्तों में सरकार और किसान मिलकर इस चुनौती से कैसे निपटते हैं।




