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चीन और भारत ने जिस दलित संस्था का किया था विरोध, UN ने उसी संगठन को दी मान्यता

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UN के प्रमुख निकाय संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक परिषद ने एक दलित मानवाधिकार संस्था समेत नौ गैर-सरकारी संगठनों (NGO) को मान्यता दे दी है।

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हिंदुस्तान, चीन और रूस सहित कई राष्ट्रों ने मान्यता को लेकर आपत्ति जताई थी, मगर इस आपत्ति को दरकिनार करके मतदान के बाद मान्यता दे दी गई। UN आर्थिक और सामाजिक परिषद ने विश्व के गैर-सरकारी संगठनों को मान्यता देने के लिए बुधवार को वोटिंग हुई।

वोटिंग के बाद इंटरनेशनल दलित सॉलिडेरिटी नेटवर्क (आईडीएसएन), मानवाधिकार और अंतर्राष्ट्रीय कानून का अरब-यूरोपीय केंद्र, बहरीन मानवाधिकार केंद्र, कॉप्टिक सॉलिडेरिटी गल्फ सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स, अंतर्क्षेत्रीय गैर-सरकारी मानवाधिकार संगठन मैन एंड लॉ, स्वास्थ्य और सामाजिक इंसाफ के लिए एंड्री रिलकोव फाउंडेशन, द वर्ल्ड यूनियन ऑफ कॉसैक एटमैन्स एंड वर्ल्ड विदाउट जेनोसाइड समेत नौ गैर-सरकारी संस्थाओं को मान्यता का फैसला लिया गया।

इन समस्त गैर-सरकारी संगठनों को विशेष परामर्शदाता का दर्जा दिया जाएगा। इन नौ गैर-सरकारी संगठनों को विशेष परामर्शदाता का दर्जा दिया जाएगा। UN आर्थिक और सामाजिक परिषद यूएन के 6 मुख्य संगठनों में से एक है। यह परिषद आर्थिक व सामाजिक मामलों को देखती है।

UN की 19 सदस्यीय कमेटी ने इस साल सितंबर में नौ NGO के मान्यता आवेदनों को खारिज कर दिया था। यह समिति NGO के मान्यता आवेदनों पर विचार करती है।

एक बार आवेदन की समीक्षा और समिति द्वारा अनुमोदित होने के बाद इसे सलाहकार बनाने की सिफारिश की जाती है। इन नौ संगठनों के आवेदन की समीक्षा के बाद अमेरिका की पहल पर बुधवार को मतदान कराया गया। वोटिंग के दौरान इन संगठनों को मान्यता संबंधी प्रस्ताव के पक्ष में 24 मुल्कों ने वोट डाले। इस प्रस्ताव के विरोध में भारत, चीन और रूस समेत 17 देशों ने प्रस्ताव के विरोध में वोटिंग की। UN आर्थिक और सामाजिक परिषद के 12 सदस्य मतदान से गैरहाजिर रहे।

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