Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने सोमवार, 24 नवंबर को 89 साल की उम्र में मुंबई स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। धर्मेंद्र लंबे समय से बीमार थे और पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। कुछ दिन पहले ही उन्हें घर लाया गया था, जहाँ उनका इलाज चल रहा था।
बॉलीवुड के "ही-मैन" कहे जाने वाले धर्मेंद्र ने अपने शानदार फ़िल्मी करियर के साथ-साथ राजनीति में भी कदम रखा। हालाँकि, उनका सफ़र उनकी फ़िल्मों जितना सफल नहीं रहा। आइए जानते हैं धर्मेंद्र के छोटे लेकिन बेहद चर्चित राजनीतिक सफ़र के बारे में।
राजनीति में प्रवेश की कहानी:
2004 में, धर्मेंद्र ने भारतीय जनता पार्टी के स्विंग इंडिया अभियान से प्रेरित होकर राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान उनकी मुलाकात भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और शत्रुघ्न सिन्हा से हुई।
यह यात्रा राजनीति में उनका पहला कदम थी। भाजपा ने उन्हें राजस्थान की बीकानेर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। धर्मेंद्र ने कांग्रेस उम्मीदवार रामेश्वर लाल डूडी को लगभग 60,000 मतों से हराकर चुनाव जीता और संसद पहुँचे।
धर्मेंद्र का राजनीतिक जीवन छोटा लेकिन यादगार रहा।
धर्मेंद्र को राजनीति पसंद नहीं थी। अपनी मशहूर फिल्म शोले का एक डायलॉग बोलते हुए उन्होंने कहा था कि अगर सरकार उनकी बात नहीं मानेगी, तो वे संसद की छत से कूद जाएँगे। हालाँकि उन्हें भारी जीत मिली, लेकिन संसद में उनकी कम उपस्थिति चर्चा में रही।
धर्मेंद्र का राजनीतिक करियर उनकी फ़िल्मों जितना सफल नहीं रहा। अपने पाँच साल के कार्यकाल में, वे संसद में बहुत कम बार ही जा पाए। बीकानेर के लोगों का आरोप है कि उनके सांसद धर्मेंद्र अपने क्षेत्र का दौरा नहीं करते थे और न ही जनता से जुड़ते थे। वे अपना ज़्यादातर समय फ़िल्मों की शूटिंग या अपने फार्महाउस पर बिताते थे। हालाँकि, उनके समर्थक हमेशा कहते रहे कि धर्मेंद्र बीकानेर के लिए पर्दे के पीछे से काफ़ी काम करते हैं।
धर्मेंद्र ने राजनीति क्यों छोड़ी? सनी देओल ने किया खुलासा।
2009 में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद, धर्मेंद्र ने फिर कभी चुनाव नहीं लड़ा और सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। बाद में, उनके बेटे सनी देओल ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि धर्मेंद्र को राजनीति कभी पसंद नहीं आई। उन्होंने इसमें शामिल होने का अफसोस भी जताया। धर्मेंद्र ने एक बार कहा था, "काम मैंने किया और श्रेय कोई और ले गया। शायद वह जगह मेरे लिए नहीं थी।"
बाद में उनके बेटे सनी देओल और पत्नी हेमा मालिनी भी राजनीति में आए, लेकिन धर्मेंद्र ने हमेशा दूरी बनाए रखी। सनी देओल एक बार गुरदासपुर से जीते और फिर राजनीति छोड़ दी। हेमा मालिनी मथुरा से तीन बार सांसद चुनी गईं।
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