बद्रीनाथ धाम के कपाट भी विधि विधान के साथ शीतकालीन के लिए बंद किए गए, चार धाम यात्रा का भी हुआ समापन

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(सभी धाम बंद) गंगोत्री, केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के बाद आज बाबा बद्रीनाथ धाम के भी कपाट पूरे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसी के साथ इस साल चार धाम यात्रा का भी समापन हो गया है। बद्रीनाथ पूरे मंदिर को 15 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया। आज दोपहर 3.33 बजे पूरे विधि विधान के साथ बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि पंच पूजाओं के पांचवें दिन शनिवार को रावल स्त्री वेष धारण कर माता लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान किया था। 

बद्रीनाथ धाम में कपाट बंद होने के आखिरी दिन भी बड़ी संख्या में यहां पर श्रद्धालु पहुंचे। 19 नवंबर की सुबह श्री उद्धव जी एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी रावल जी सहित पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी। श्री कुबेर जी बामणी गांव से पांडुकेश्वर प्रस्थान करेंगे जबकि उद्वव जी एवं शंकराचार्य जी की गद्दी मंदिर परिसर से पांडुकेश्वर रवाना होंगी। श्री उद्धव जी योग बदरी मंदिर एवं कुबेर जी अपने पांडुकेश्वर स्थित मंदिर में छह मास प्रवास करेंगे। जबकि श्री गरूड़ जी भी जोशीमठ में प्रवास करेंगे। 

20 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी योग बदरी पांडुकेश्वर से श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। यहां शीतकाल में छह माह नृसिंह मंदिर स्थित आदि गुरु शंकराचार्य गद्दीस्थल में प्रवास करेंगी। जिसके बाद योग बदरी पांडुकेश्वर और श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजायें होंगी। शीतकालीन प्रवास पर बदरीविशाल के विराजने के बाद यात्रा वर्ष 2023 का भी समापन होगा। बदरीनाथ धाम में रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी सहित धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविन्द्र भट्ट तथा अन्य वेदपाठी, पुजारीगण पंचपूजायें संपादित करेंगे। 

बता दें कि बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद करने से पहले 14 नवंबर को गंगोत्री धाम के कपाट बंद किए गए थे। इसके बाद अगले दिन भाई दूज पर 15 नवंबर को केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद किए गए । बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही वर्ष 2023 की चार धाम यात्रा का भी समापन हो गया। बता दें कि इस बार चार धाम यात्रा में 58 लाख से ज्यादा यात्रियों ने दर्शन किए हैं जो की एक नया रिकॉर्ड है।

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