नैनीताल। दुनिया भर में अपना असर दिखा रही ग्लोबल वॉर्मिंग अब सरोवरनगरी नैनीताल को भी अपनी चपेट में लेने लगी है। मौसम के आंकड़े बता रहे हैं कि एक तरफ तो नैनीताल के औसत तापमान में इजाफा हो रहा है तो वहीं औसत बारिश में भी कमी आई है। यहां इस साल गर्मी ने भी सात सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वहीं 13 सालों में सबसे कम बारिश भी दर्ज की गई है।
एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि नैनीताल में पर्यटकों और वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या और ग्लोबल वॉर्मिंग ने यहां के पर्यावरण को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। यहां इसे साल अब तक जून का औसत तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है जो सामान्य से दो डिग्री अधिक है। वहीं बात बारिश की करें तो आमतौर पर यहां जब भी तापमान 28 से 29 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता था तो बारिश हो जाती थी और तापमान फिर से सामान्य हो जाता है लेकिन इस साल पिछले 13 सालों में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी प्रमुख वजह ग्लोबल वॉर्मिंग और तेजी से बढ़ता व्यावसायीकरण भी है। मालूम हो कि नैनीताल में बीते पांच महीने में डेढ़ लाख से पर्यटक आये। कई अध्ययन भी ये साबित करते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग हिमालयी क्षेत्रों पर भी अपना असर दाल रही है। पर्यटक सीजन में यहां प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जा रहा है। इसे अगर नियंत्रित न किया गया तो भविष्य में नैनीताल में और बदलाव देखने को मिलेंगे जो यहां की ख़ूबसूरती और पर्यावरण के लिए ठीक नहीं होंगे।
मौसम विभाग ने उत्तराखंड में 15 जून यानी आज से 17 जून तक बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। उसके मुताबिक राज्य के कई इलाकों में कहीं-कहीं तेज बौछारें पड़ेंगी।