Prabhat Vaibhav,Digital Desk : वर्ष 2023 में 106वें संविधान संशोधन के ज़रिए राजनीति में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण का रास्ता खोला गया था। उस समय लगभग हर राजनीतिक दल ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के बड़े-बड़े वादे किए थे। लेकिन जब बिहार विधानसभा चुनाव में उन वादों को निभाने का मौका आया, तो ज़्यादातर पार्टियां अपने ही संकल्प भूल गईं।
पार्टियों की सोच में बदलाव क्यों नहीं?
सरकारी नौकरियों और पंचायती राज में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया गया है, लेकिन राजनीति आते ही पार्टियों का नजरिया बदल जाता है। टिकट वितरण के वक्त महिलाओं को दरकिनार कर देना एक पुरानी परंपरा बन चुकी है। यही वजह है कि 33% राजनीतिक आरक्षण की बात सिर्फ भाषणों तक सीमित रह गई है।
इस बार भी विधानसभा चुनाव में महिलाओं को टिकट देने को लेकर पार्टियां पीछे हट गईं। यह वही महिलाएं हैं जो चुनावों में पुरुषों से ज़्यादा मतदान करती हैं, लेकिन जब प्रतिनिधित्व की बात आती है तो उन्हें दरवाज़े पर ही रोक दिया जाता है।
एनडीए और महागठबंधन दोनों में एक जैसी तस्वीर
चाहे एनडीए हो या महागठबंधन, दोनों ही गठबंधनों ने महिलाओं पर भरोसा जताने में कंजूसी दिखाई है। दोनों ने मिलकर कुल 53 महिला उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है।
- एनडीए में भाजपा और जदयू को 101-101 सीटें मिलीं, और दोनों ने 13-13 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा।
- लोजपा (रामविलास) को 29 सीटों में से 6 पर महिलाओं को टिकट मिला।
- हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) को 6 सीटें मिलीं, जिनमें 2 पर महिलाएं हैं—वो भी खुद पार्टी प्रमुख जीतन राम मांझी की बहू और समधन।
- रालोमो (राष्ट्रीय लोक मोर्चा) ने एक सीट पर अपनी ही पत्नी स्नेहलता कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया।
कुल मिलाकर एनडीए ने 243 सीटों में से केवल 35 महिला उम्मीदवार उतारी हैं।
दूसरी ओर, महागठबंधन ने कुल 18 महिलाओं को टिकट दिया—राजद ने 11, कांग्रेस ने 5, वीआईपी और माले ने 1-1 महिला को उम्मीदवार बनाया। माकपा और भाकपा ने एक भी महिला प्रत्याशी नहीं दी।
वोटिंग में आगे, टिकट में पीछे महिलाएं
राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 2010 से अब तक हर विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से ज़्यादा रहा है।
- 2010 में पुरुषों का मतदान प्रतिशत: 50.70%
- महिलाओं का मतदान प्रतिशत: 54.85%
फिर भी टिकट के मामले में महिलाएं हर बार पीछे रह जाती हैं। 2010 में महिला उम्मीदवारों की संख्या केवल 8.71% थी, और आज भी तस्वीर बहुत नहीं बदली। कुछ दलों ने तो इस बार भी बाहुबलियों की पत्नियों को उम्मीदवार बनाकर महिला प्रतिनिधित्व का ‘नाम मात्र’ पूरा कर दिया।
किस पार्टी ने कितनी महिलाओं को दिया टिकट?
| पार्टी | महिला उम्मीदवार |
|---|---|
| भाजपा | 13 |
| जदयू | 13 |
| राजद | 11 |
| लोजपा (रामविलास) | 6 |
| कांग्रेस | 5 |
| हम | 2 |
| रालोमो | 1 |
| वीआईपी | 1 |
| भाकपा (माले) | 1 |




