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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : इस वर्ष करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। कई जगहों पर अविवाहित महिलाएं भी अच्छे पति की कामना के लिए करवा चौथ रखती हैं। मान्यता है कि इस तिथि पर व्रत रखने से वैवाहिक जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी सती ने भी भगवान शिव के लिए यह व्रत रखा था। इसके अलावा, यह तिथि भगवान गणेश से भी जुड़ी है। इस दिन भगवान गणेश, देवी गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। ज्योतिषियों के अनुसार, यह करवा चौथ बहुत खास माना जा रहा है क्योंकि इसमें कई शुभ घटनाएँ घटित होंगी। तो आइए जानते हैं इनके बारे में।

करवा चौथ 2025 तिथि: 
करवा चौथ तिथि 9 अक्टूबर को रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर को शाम 7:37 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि के अनुसार, करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय  
इस बार करवा चौथ पर चंद्रोदय रात 8:14 बजे से शुरू होगा। दिल्ली और एनसीआर में चंद्रोदय का समय भी रात 8:14 बजे होगा।

ज्योतिषाचार्य एवं पंडित मनोज त्रिपाठी के अनुसार इस बार करवा चौथ पर सिद्धि योग और शिववास योग का संयोग बन रहा है। 
पूरे 200 साल बाद करवा चौथ पर सिद्धि योग और शिववास योग एक साथ बन रहा है।

करवा चौथ पर सिद्धि योग का क्या महत्व रहेगा?
पंचांग के अनुसार, इस दिन सिद्धि योग का संयोग शाम 5:41 बजे तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, करवा चौथ की तिथि यानि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सिद्धि योग बन रहा है। किसी भी कार्य में सफलता और सिद्धि प्राप्त करने के लिए यह योग अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में की गई पूजा और साधना विशेष फलदायी होती है। मान्यता है कि करवा चौथ पर सिद्धि योग के दौरान व्रत और पूजा करने से पूर्ण लाभ मिलता है।

करवा चौथ पर शिववास योग का महत्व 
इस करवा चौथ पर शिववास योग भी रहेगा। शिववास का अर्थ है भगवान शिव का निवास। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब शिववास कैलाश में होता है, तो वह समय पूजा, रुद्राभिषेक और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। शिववास योग में पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। करवा चौथ पर यह संयोग सुहागिन महिलाओं के लिए सुख, शांति और सौभाग्य लेकर आएगा। इस योग में पूजा करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम और अटूट बंधन बना रहता है।