द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत जापान शांति के रास्ते पर है और अपनी सैन्य शक्ति में वृद्धि करेगा। वहां की सरकार ने 35 हजार करोड़ डॉलर के हथियार खरीदने का निर्णय लिया है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह चीन और उत्तर कोरिया का बढ़ता खतरा है।
जापानी पीएम फुमियो किशिदा ने एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की घोषणा की है। इस हिसाब से कुल जीडीपी का 2 फीसदी रक्षा क्षेत्र पर खर्च किया जाएगा। यह आंकड़ा डबल हो गया है। किशिदा ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि आसपास का वातावरण अस्थिर है। इसलिए हमें आपात स्थिति और विशेष परिस्थितियों में दूसरे देश पर सीधे हमला करने में सक्षम होना चाहिए। (समाचार अभिकर्तत्व)
ताइवान पर हमला करने के बाद चीन जापान को सेमीकंडक्टर्स की आपूर्ति बंद कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो जापान को बहुत गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, चीन जापान की ईंधन आपूर्ति को बनाए रख सकता है।
वर्ल्ड वॉर सेकंड के बाद जापान ने शांतिवादी रास्ता अपनाया और संविधान से सेना की आधिकारिक मान्यता को समाप्त कर दिया। उसके बाद जापान की पूरी रक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका ने ले ली है।