धर्म डेस्क. हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021) प्रत्येक त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत की तिथि वैदिक हिंदू कैलेंडर द्वारा निर्धारित की जाती है प्रदोष व्रत भगवान शिव के पूजन को पूरी तरह समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का व्रत और पूजन करने का विधान है। मार्ग शीर्ष माह का शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत कल 16 दिसंबर को पड़ रहा है।गुरू प्रदोष के दिन भगवान शिव का पूजन करने से गुरू दोष से भी मुक्ति मिलती है।
गुरू प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021) को रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में मदद मिलती है और सफलता, ज्ञान और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव का पूजन करने से गुरू दोष से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन शिव जी को पूजन में बेलपत्र चढ़ा कर, जलाभिषेक करना चाहिए। इसके साथ ही जल में गुड़ मिला कर अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है इन मंत्रों का जाप करने से सभी मान्यताओं की पूर्ति होती है।
1. ऊँ नमः शिवाय।
2. नमो नीलकण्ठाय।
3. ऊँ पार्वतीपतये नमः।
4. ऊँ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
5. ऊँ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।