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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : शुक्रवार (7 नवंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मुद्दे पर तीन आदेश जारी किए। कोर्ट ने राज्यों को एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने और हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। एक अन्य आदेश में, कोर्ट ने निर्देश दिया कि आवारा पशुओं पर राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को पूरे देश में लागू किया जाए। आवारा पशुओं को राजमार्गों और सड़कों से हटाकर आश्रय स्थलों में रखा जाए। नगर निगम गश्ती दल बनाएँ और 24 घंटे निगरानी रखें। कोर्ट ने हेल्पलाइन नंबर जारी करने का भी आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने तीसरे आदेश में निर्देश दिया कि आवारा कुत्तों को शैक्षणिक संस्थानों, खेल परिसरों, अस्पतालों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर बाड़ लगाकर और अन्य उपाय करके प्रवेश करने से रोका जाए। टीकाकरण और नसबंदी के बाद उन्हें आश्रय स्थलों में रखा जाए। अदालत ने निर्देश दिया कि उसके आदेश का पालन आठ हफ़्तों के भीतर किया जाए।

11 अगस्त को, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कुत्तों के काटने की घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के सभी आवारा कुत्तों को आश्रय गृहों में रखने का आदेश दिया। पशु प्रेमियों ने इस कदम का विरोध किया और मामला मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसके बाद मामला तीन न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया गया।

तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपने पिछले आदेश को पलटते हुए दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़ने, उनकी नसबंदी करने और उनका टीकाकरण करने तथा उन्हें उनके आवासों में वापस छोड़ने का आदेश दिया। 22 अगस्त को, न्यायालय ने सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया और राज्यों से हलफनामे दाखिल करने को कहा। हालाँकि, दो महीनों में केवल दो राज्यों ने ही हलफनामे दाखिल किए।

न्यायाधीशों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि इन दोनों राज्यों को छोड़कर किसी भी राज्य ने उनके नोटिस के जवाब में हलफनामा दायर नहीं किया। दिल्ली सरकार ने भी हलफनामा दायर नहीं किया। केवल दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने हलफनामा दायर किया।

27 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि देश भर में कुत्तों से जुड़ी घटनाएँ लगातार हो रही हैं। इससे भारत की छवि वैश्विक स्तर पर धूमिल हो रही है। ऐसे में राज्य सरकारों का लापरवाह रवैया गलत है। राज्यों द्वारा जवाब दाखिल न करने पर नाराज़गी जताते हुए कोर्ट ने पूछा, "क्या राज्य के अधिकारी अखबार नहीं पढ़ते या सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करते?" भले ही आदेश की प्रति उनके डेस्क तक न पहुँची हो, लेकिन उन्हें इस महत्वपूर्ण मामले की जानकारी ज़रूर होगी।

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