उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश किया। इस बिल के कानून बनते ही उत्तराखंड में लिव इन रिलेशन में रह रहे लोगों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो जाएगा। ऐसा नहीं करने पर 6 महीने तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी भी गैर-कानूनी मानी जाएगी। उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सीएम धामी भारत के संविधान की मूल प्रति हाथों में पकड़कर विधानसभा पहुंचे। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी व प्रेमचंद अग्रवाल भी सीएम के साथ मौजूद थे। उनके हाथों में समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट की प्रति थी।
ड्राफ्ट को पेश करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस बिल में सभी धर्मों और सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। इसे सीएम पुष्कर सिंह धामी का मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है। मगर विपक्ष इसके खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहा है। मगर वहीं बीजेपी विधायकों ने जय श्रीराम के नारे लगाए। यूसीसी पर ड्राफ्ट लाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। बिल पेश किए जाने के साथ ही विधानसभा वंदे मातरम, जय श्री राम, भारत माता की जय के नारों से गूंज उठी। वहीं, बिल पेश किए जाने के विपक्ष ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। इस कारण विधानसभा की कार्यवाही भोजनावकाश के बाद तक दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दोपहर 2 बजे तक विधायकों को यूसीसी विधेयक को पढ़ने और समझने को कहा गया था। अब फिर से उत्तराखंड विधानसभा की दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू हो चुकी है। विपक्षी विधायक यूसीसी बिल के अध्ययन के लिए और समय की मांग कर रहे हैं। विपक्षी नेता लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक 2024 को सदन के पटल पर रखने के बाद उसके अध्ययन के लिए नेताओं को समय दिया जाए, ताकि वो इस चर्चा में भाग ले सकें। सरकार, यूसीसी विधेयक के अध्ययन का समय नहीं देगी तो सदन के भीतर विपक्षी दल सरकार से अध्ययन के लिए समय मांगेंगे।
उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी बिल पेश किए जाने के बाद इस पर चर्चा होनी है। माना जा रहा है कि आज और कल दो दिन इस बिल पर सदन में बहस होगी। बुधवार को इसे पास किया जाएगा। उत्तराखंड यूसीसी बिल की कॉपी सभी सदस्यों में वितरित कर दी गई है। वहीं उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने कहा कि यह उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है और हम सभी बहुत खुश हैं कि यूसीसी (समान नागरिक संहिता) आज (विधानसभा में) पेश किया गया। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कानून है। उत्तराखंड विधानसभा में पेश यूसीसी बिल पर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा कि मैं इसका स्वागत करती हूं। मुझे लगता है कि देश की हर महिला इसका स्वागत करेगी। उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए यूसीसी बिल पर बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि ये जो पास हुआ है बिल ये सभी महिलाओं के लिए बहुत अच्छा है। इससे सभी वर्ग की महिलाओं को लाभ मिलेगा। मुझे गर्व है कि हमारी सरकार ने ये किया। उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए यूसीसी बिल पर उत्तराखंड भाजपा विधायक शिव अरोड़ा ने कहा, यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यूसीसी से बड़ी खुशी क्या हो सकती है? यह लोगों को समान अधिकार देता है।
वहीं उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने लिखा- समान नागरिक संहिता बिल के लिए उत्तराखंड भाजपा की धामी सरकार बधाई की पात्र है। भाजपा ने अपने वैचारिक मुद्दों के क्रम में जनता से किए वादे के अनुसार समाधान सुनिश्चित कर रही है। मोदी जी की गारंटी की भी गारंटी है। राज्य विधानसभा में यूसीसी बिल पेश होने पर उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि अगर राज्य सरकार समान नागरिक संहिता के नाम पर शासक वर्ग के लिए दूसरे समुदाय की परंपराओं में हस्तक्षेप करने के लिए कानून लाती है, तो क्या वैमनस्य नहीं होगा। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार की मंशा पर संदेह है। बिल की कॉपी आधी अधूरी मिली है।
उत्तराखंड में यूसीसी विधेयक पेश करने पर राजनीति के दिग्गज चेहरे इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा कि हम यूसीसी लागू करने के पक्ष में नहीं हैं। वे इसे बीजेपी शासित राज्यों में लागू कर सकते हैं, हम इसे पश्चिम बंगाल में लागू नहीं करेंगे। समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पर समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन का कहना है, अगर कोई कानून बनाया जाता है जो कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है, तो हम उससे सहमत नहीं होंगे। वे कब तक वोटों का ध्रुवीकरण करते रहेंगे, लोग अब इससे तंग आ चुके हैं। उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए यूसीसी बिल पर एआईयूडीएफ विधायक अमीनुल इस्लाम ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि उनका उद्देश्य क्या है क्योंकि अगर वे यूसीसी लागू करने जा रहे हैं तो उत्तराखंड सरकार ने आदिवासियों, दलितों को इस अधिनियम से छूट क्यों दी? हम यूसीसी बिल का विरोध करते हैं। कांग्रेस के विरोध पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब ने कहा कि वो झूठ बो ल रहे हैं। वह चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही से पहले उनके पास कॉपी आए और वो देश भर में सर्कुलेट करें। सब कुछ लाइव चल रहा है और वो केवल विरोध करने के लिए विरोध कर रहे हैं। दरअसल, उत्तराखंड चुनाव 2022 के दौरान
सीएम धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की घोषणा की थी। यह भाजपा के पुराने एजेंडे में रहा है। वहीं। माना उत्तराखंड चुनाव में भाजपा यह बड़ी घोषणा थी। इसे पूरा कराया गया है। विधानसभा से बिल पास होने के बाद उत्तराखंड के सभी लोगों के लिए एक विधान और एक कानून लागू हो जाएगा। पर्सनल लॉ इस कानून के लागू होते ही अप्रभावी हो जाएंगे।