हमारे यहां कई सालों से यह परंपरा रही है कि कोई भी नई चीज जैसे कार, घर, दुकान आदि दरवाजे पर काली शक्तियों से बचने के लिए बांधी जाती है। अक्सर एक काली गुड़िया भी लटकाई जाती है, इतना कि ऊपर लिखा होता है कि बुरी नजर वाले तेरा मुह काला… नींबू या इसी तरह की चीजें अक्सर कुछ दिनों में दुकानों व गाड़ियों पर देखी जाती हैं।
परिवार के बड़े-बुजुर्गों ने हमें जरूर कहा होगा कि इस पर पैर मत रखना और इसे पार नहीं करना। कई अंधविश्वास लंबे समय से चले आ रहे हैं कि अगर हम गलती से भी उस पर कदम रखते हैं या उसे पार करते हैं, तो बुरी बला पीछा करेगी।
मगर क्या आप जानते हैं कि हमारे भारत में प्राचीन काल से चली आ रही कुछ प्रथाओं के पीछे हमेशा कुछ कारण, ज्यादातर वैज्ञानिक कारण होते हैं मगर वक्त के साथ अंधविश्वास ने इसे बदल दिया और लोगों ने इसका गलत अर्थ निकालना शुरू कर दिया। मगर सोशल मीडिया पर The Cyber Zeal नाम से पेज चलाने वाले एक शख्स ने इसके पीछे की कुछ वजहें बताई हैं.आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा।
बहुत समय पहले जब चप्पल, बिजली, कार जैसी बुनियादी चीजों का आविष्कार नहीं हुआ था तो लोग घर और दुकान पर नींबू मिर्च को ऐसे ही टांग देते थे।
प्रथा बहुत पहले की थी जब बिजली, चप्पल और कार, ठेले का आविष्कार नहीं हुआ था। उस समय लोग अपने घरों और दुकानों पर नीबू टांगते थे।
बहुत समय पहले ओक बहुत पैदल यात्रा करते थे दूर यात्रा करते समय प्यास लगना स्वाभाविक है तो ऐसे समय में क्या किया जाए जब स्वच्छ पानी बिल्कुल भी उपलब्ध न हो। जहाँ-जहाँ थोड़ा-सा जल मिलता था, उसे चारकोल पर रखकर छान लिया जाता था, इस प्रकार जल शुद्ध हो जाता था।
नींबू पानी पीने से ज्यादा देर तक भूख नहीं लगती इसलिए सफर के दौरान नींबू और पानी का मिश्रण पिया जाता था।
बिना चप्पल के चलते समय कांटा फंस जाए या बिच्छू सांप द्वारा काट लिया जाए तो वही धागा निकालकर काटे हुए स्थान पर बांध दिया जाता है। ताकि जहर पूरे शरीर में न फैले।
अगर गलती से भी जहर शरीर में फैल जाता है तो व्यक्ति को मिर्च खाने को दी जाती है, अगर मिर्च का टेस्ट आ रहा है तो समझा जाता है कि जहर नहीं फैला। इसके विपरीत अगर मिर्ची का टेस्ट नहीं आ रहा है तो जहर फैलने के संकेत हैं।
तो अब क्या आप जानते हैं कि पुराने जमाने के लोग नींबू मिर्ची अपने पास क्यों रखते थे या दरवाजे पर क्यों बांधते थे। यह मेडिकल फर्स्ट किट की तरह काम करता है। मगर हम इसे कितना विकृत करते हैं और अंधविश्वास में पड़ जाते हैं। मगर ऐसे किसी अंधविश्वास के बहकावे में न आएं, यही इस खबर के पीछे का उद्देश्य है।