मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि राज्य में कोविड-19 महामारी की वजह से लगी पाबंदियों में छूट ऑक्सीजन की उपलब्धता पर निर्भर करेगी. उन्होंने कहा कि यह ‘लोगों पर है कि वे महामारी की तीसरी लहर को रोकें या उसे आमंत्रित करें.’’डिजिटल माध्यम से चिकित्सा सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ठाकरे ने राजनीतिक दलों से कहा कि वे राजनीति नहीं करें और उन स्थानों को खोलने की मांग नहीं करें, जहां पर भीड़ से नहीं बचा जा सकता है.
इस डिजिटल सम्मेलन में पूरे राज्य से चिकित्सक और राज्य कोविड-19 कार्यबल के सदस्य शामिल हो रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘लोगों की जिंदगी से नहीं खेलें. विरोध करें लेकिन कोविड-19 के खिलाफ. यह हम पर है कि कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर को रोकें या उसे आमंत्रित करें.’’ उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र एकमात्र राज्य है जिसने महामारी से निपटने के लिए अपने स्वास्थ्य ढांचे को अद्यतन किया,‘देश में ऐसा किसी और राज्य ने नहीं किया.’’ठाकरे ने कहा, ‘‘ हम ऑक्सीजन उत्पादन में कमी का सामना कर रहे हैं जिसमें कुछ समय लगेगा. मौजूदा समय में हमारा दैनिक ऑक्सीजन उत्पादन 1,200 से 1,300 मीट्रिक टन है जिसका इस्तेमाल उद्योग और चिकित्सा के लिए किया जा रहा है. इस्पात, कांच और फार्मा उद्योग में ऑक्सीजन की जरूरत होती है. हमें रोजाना गैर कोविड-19 मरीजों के लिए 150 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत होती है और 200 मीट्रिक टन जरूरत कोविड-19 मरीजों के लिए होती है.’’
कितने ऑक्सीजन की है जरूरत?
उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य में ऑक्सीजन की दैनिक जरूरत 1,700 से 1,800 मीट्रिक टन थी, जो अन्य राज्यों से खरीदी जा रही थी. ठाकरे ने कहा कि उन्होंने राज्य में ऑक्सीजन का उत्पादन मौजूदा 1,400 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 3,000 मीट्रिक करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा. उन्होंने कहा, ‘‘मामले बढ़ने पर संभवत: हमें दूसरे राज्यों से पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त नहीं होगा. ’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के बावजूद हालात नियंत्रण में हैं. हालांकि, गत कुछ दिनों में दैनिक मामलों में मामूली वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, ‘‘ हमें भीड़ से बचना होगा…धैर्य रखना होगा. हमें मौजूदा समय खुले स्थानों को बंद करने की जरूरत महसूस नहीं होनी चाहिए.’’ ठाकरे ने कहा कि लोगों को समझना चाहिए, ‘‘दुश्मन को अब भी पूरी तरह से हराया नहीं जा सका है… उसकी छाया अब भी है.’’