
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में बिजली की दरों में भारी वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है। पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने बिजली की मौजूदा दरों में 25 से 30 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग के सामने रखा है।
प्रबंधन का कहना है कि मौजूदा दरों से लगभग 9,206 करोड़ रुपये का घाटा अनुमानित था, लेकिन वास्तविक घाटा करीब 25 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। प्रबंधन ने अपनी संशोधित वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) आयोग को सोमवार तक सौंपने की तैयारी कर ली है। यह संशोधित एआरआर तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपये का बताया जा रहा है।
दरअसल, पावर कारपोरेशन की चिंता यह है कि बिजली बिलों की पूरी वसूली नहीं हो पाती है। आंकड़ों के अनुसार, बिजली बिलों की वास्तविक वसूली 80 प्रतिशत से भी कम रहती है। इसी कारण प्रबंधन चाहता है कि इस घाटे को पूरा करने के लिए आयोग बिजली की दरों में पर्याप्त बढ़ोतरी करे।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आयोग पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव को मान्यता देता है तो बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर बड़ा भार पड़ेगा। गौरतलब है कि मौजूदा बिजली दरें 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से स्थिर हैं। पिछली वृद्धि छह वर्ष पहले 11.69 प्रतिशत की हुई थी, जिसके बाद से दरें यथावत रही हैं।
हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के एआरआर में भी बिजली कंपनियों ने 11,203 करोड़ रुपये का राजस्व अंतर दिखाया था, परन्तु नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं के हित में लगातार पांचवें साल बिजली दरों में वृद्धि न करने का फैसला लिया था।
अब देखना यह है कि इस बार आयोग पावर कारपोरेशन की इस भारी वृद्धि की मांग पर क्या निर्णय लेता है।