ऋषिकेश।। करोड़ों शिवभक्तों की आस्था के प्रतीक कांवड़ मेले का शुभारंभ हो गया है। शिव की आराधना के सावन मास के पहले दिन एक लाख से ज्यादा शिवभक्तों ने मणिकूट पर्वत स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया। शिवधाम नीलकंठ महादेव मंदिर में मेले के प्रथम दिन ही शिवभक्तों का हजूम उमड़ पड़ा।
मंगलवार से सावन मास के कांवड़ मेले का विधिवत आगाज हो गया। कांवड़ मेला आस्था और विश्वास का ऐसा पर्व है, जिसमें रंगने को हर कोई आतुर रहता है। यही वजह है कि यात्रा की शुरुआत में ही शिवभक्तों की जबरदस्त भीड़ आज तीर्थ नगरी से नीलकंठ की और हर हर महादेव के उद्घोषों से दिनभर पग भरती नजर आई। शिवधाम जाने वाले समस्त मार्ग शिवभक्तों से गुलजार हैं। बम-बम भोले के जयकारों के बीच श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। यात्रा में आस्था के अनोखे रंग नजर आ रहे हैं।
उत्तराखंड में पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में सावन मास की धूम शुरू हो चुकी है। मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करता है, उसकी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। इसके साथ ही कन्याओं को सुयोग्य वर प्राप्ति का भी आशीर्वाद मिलने की मान्यता है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की शुरुआत उनके अभिषेक के साथ होती है। सावन के कांवड़ मेले के लिए शिवधाम नीलकंठ महादेव मंदिर को खासतौर पर सजाया गया है।
जनपद पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर प्रखंड के अंतर्गत मणिकूट पर्वत की तलहटी पर स्थित पौराणिक नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में शिव भक्त पहुंचे। पुलिस कंट्रोल रूम जनपद पौड़ी गढ़वाल के मुताबिक सोमवार की देर रात तक हजारों श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करने को पहुंचे। व्यवस्थाओं पर नजर रखने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी गढ़वाल श्वेता चौबे ने यही कैंप किया।
इस वर्ष प्रदेश पुलिस प्रशासन को यहां भारी भीड़ के आने की सूचना मिल रही है। यही कारण है कि राज्य पुलिस प्रशासन से जुड़े बड़े अधिकारी पिछले एक सप्ताह के भीतर कई बार यहां पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा ले चुके हैं। इस वर्ष कांवड़ यात्रा में भारी भीड़ आने की संभावना को देखते हुए समूचे नीलकंठ मेला क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात किया गया है।
बम निरोधक दस्ता, स्वान दल सहित खुफिया विभाग की टीम निरंतर क्षेत्र में सक्रिय है। जलाभिषेक के वक्त किसी को भी ज्यादा समय रुकने की इजाजत नहीं है, क्योंकि यहां पर भीड़ का दबाव बनने की पूरी संभावना बनी हुई थी। महादेव के दरबार में जल स्पर्श कराने के बाद श्रद्धालु जल पात्र को मंदिर परिसर में ही छिड़क रहे हैं।