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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : देहरादून की महत्वाकांक्षी रिस्पना–बिंदाल एलिवेटेड रोड परियोजना को लेकर बड़ा बदलाव सामने आया है। अब इस एलिवेटेड रोड पर वाहन 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सुरक्षित चल सकेंगे। पहले लोक निर्माण विभाग (PWD) ने इसका डिजाइन 40 किमी प्रति घंटे की गति को ध्यान में रखकर तैयार किया था, लेकिन एनएचएआई (NHAI) ने इसे हाई-स्पीड कॉरिडोर के अनुरूप बदलने के निर्देश दिए हैं।

एनएचएआई का कहना है कि मौजूदा डिजाइन में कई ऐसे तीखे मोड़ हैं, जो तेज रफ्तार वाहनों के लिए दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। इसी वजह से सड़क के नए डिजाइन में अधिकांश घुमाव हटाकर सीधा अलाइनमेंट तैयार किया जा रहा है, ताकि वाहन तेज गति में भी सुरक्षित रह सकें।

डिजाइन बदलने से बढ़ेगा भू-अधिग्रहण

एलिवेटेड रोड का अलाइनमेंट सीधा करने का असर भू-अधिग्रहण पर भी पड़ेगा। जहां-जहां सड़क सीधी होगी, वहां अतिरिक्त जमीन की जरूरत पड़ेगी। इससे परियोजना के दायरे में आने वाले क्षेत्रों की संख्या भी बढ़ सकती है।

करीब 6200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह परियोजना लगभग 25 किलोमीटर लंबी होगी और रिस्पना तथा बिंदाल नदी के किनारे विकसित की जाएगी। अब तक डिजाइन और भूमि अधिग्रहण का काम लोक निर्माण विभाग ने किया है, जबकि निर्माण की जिम्मेदारी एनएचएआई को सौंपी गई है।

क्यों बदला जा रहा है रोड का डिजाइन

एनएचएआई ने निरीक्षण के दौरान स्पष्ट किया कि भविष्य में इस एलिवेटेड रोड पर भारी संख्या में वाहन 60 किमी प्रति घंटे की गति से चलेंगे। ऐसे में अधिक मोड़ रहने से हादसों की आशंका बनी रहेगी। इसलिए सड़क को उसी गति के अनुरूप डिजाइन किया जाना जरूरी है।

निर्देश दिए गए हैं कि जहां मोड़ जरूरी हों, वहां भी उन्हें इस तरह तैयार किया जाए कि तेज रफ्तार में वाहन चलाने पर कोई जोखिम न हो।

नदी के मोड़ के साथ मुड़ गई थी सड़क

इस कॉरिडोर में लगभग 70 मोड़ प्रस्तावित किए गए थे। इसका मुख्य कारण न्यूनतम भू-अधिग्रहण की नीति रही। लोक निर्माण विभाग ने नदी के समानांतर सड़क बनाने की योजना के तहत कई स्थानों पर नदी के मोड़ के साथ ही सड़क को भी मोड़ दिया था। एनएचएआई ने इन्हीं मोड़ों पर आपत्ति जताई है।

केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद होगा फाइनल डिजाइन

लोक निर्माण विभाग जल्द ही संशोधित डिजाइन केंद्र सरकार को भेजेगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही एलिवेटेड रोड का अंतिम स्वरूप तय होगा।

एनएचएआई के परियोजना निदेशक सौरभ सिंह के अनुसार,

“सड़क को 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के हिसाब से सुरक्षित बनाना जरूरी है। डिजाइन में बदलाव उसी दिशा में किया जा रहा है।”

वहीं, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता राजेश शर्मा ने कहा,

“एनएचएआई के सुझावों के अनुसार डिजाइन में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।”