
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार की सियासत में इन दिनों बेहद दिलचस्प और विरोधाभासी नजारे देखने को मिल रहे हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के एक प्रमुख घटक, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान अपने अनोखे 'उलटफेर' भरे सियासी तेवरों के लिए चर्चा में आ गए हैं। गुरुवार को उनका सुबह का बयान और शाम का तेवर बिहार के राजनीतिक गलियारों में गरमागरम बहस का विषय बन गया।
सुबह-सुबह उन्होंने खुद को एनडीए का 'सबसे छोटा' और 'सबसे अनुभवी' पार्टनर बताते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों और 'विकसित बिहार' के लिए उनके 'अटल संकल्प' की जमकर सराहना की। ऐसा लगा जैसे गठबंधन में सब कुछ मधुर और सामंजस्यपूर्ण चल रहा है। चिराग ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह केंद्र और राज्य, दोनों जगह मजबूत गठबंधन चाहते हैं, और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसलों का सम्मान करते हैं।
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। दोपहर होते ही चिराग पासवान का स्वर पूरी तरह बदल गया। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को निशाने पर लेते हुए बिहार की बदहाल कानून-व्यवस्था पर तीखा हमला बोला। अपने आधिकारिक एक्स (ट्विटर) हैंडल से किए गए एक ट्वीट में उन्होंने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बिहार में अपराध दर बढ़ने, खासकर हत्या और अपहरण जैसी घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर जवाब दें और अपराधों पर नियंत्रण के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाएं।
एक ही दिन में हुए ये विरोधाभासी बयान बिहार के राजनीतिक पंडितों और आम जनता के बीच चर्चा का विषय बन गए हैं। सवाल यह उठता है कि क्या यह चिराग पासवान की कोई खास रणनीति है कि वे एक तरफ तो एनडीए और नीतीश सरकार का हिस्सा होने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी तरफ उसकी कमजोरियों पर भी मुखर रहते हैं? यह कदम जहां उनकी पार्टी को सुर्खियों में ला रहा है, वहीं कुछ राजनीतिक जानकार इसे आगामी लोकसभा चुनावों से पहले चिराग के 'सेल्फ-ब्रांडिंग' के सियासी दांवपेच के तौर पर भी देख रहे हैं। बहरहाल, चिराग पासवान का यह 'पार्ट-टाइम' हमला उनकी राजनीतिक यात्रा का एक अनोखा पहलू बनता जा रहा है।