
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीज़ा की फीस में भारी वृद्धि करके लाखों युवा पेशेवरों और स्टार्टअप्स के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इसी स्थिति का फायदा उठाने के लिए चीन ने एक बड़ा कदम उठाया है। चीन ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए एक नई 'के वीज़ा' श्रेणी शुरू करने की घोषणा की है। यह वीज़ा अन्य वीज़ा की तुलना में अधिक लचीला और आसान होगा, जो 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होगा।
अमेरिकी नीति और चीन की तत्काल प्रतिक्रिया
हाल ही में, ट्रंप प्रशासन द्वारा एच-1बी वीज़ा शुल्क में की गई बढ़ोतरी ने विदेशी पेशेवरों को भारी नुकसान पहुँचाया है। पहले इस वीज़ा की कीमत लगभग ₹6 लाख थी, जो अब बढ़कर लगभग ₹88 लाख हो गई है। चीन ने अमेरिका की इस कठोर वीज़ा नीति का फ़ायदा उठाने का मौका देखा है। चीनी सरकार ने विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए एक नई 'के वीज़ा' सेवा शुरू करने की घोषणा की है, जिसका सीधा लक्ष्य युवा पेशेवर और शोधकर्ता हैं।
चीन के 'के वीज़ा ' की विशेषताएँ
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन का नया 'के वीज़ा' उसकी अन्य 12 मौजूदा वीज़ा श्रेणियों की तुलना में ज़्यादा लचीला है। यह वीज़ा विदेशियों को चीन में लंबे समय तक रहने, प्रवेश और निकास, और निवास अवधि के मामले में लचीलापन प्रदान करता है। वर्तमान में, चीन में काम करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले 'आर' और 'जेड' वीज़ा की वैधता सीमित (क्रमशः 180 दिन और 1 वर्ष) है, जबकि 'के वीज़ा' पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। इस वीज़ा धारकों को शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्यमशीलता संबंधी गतिविधियों में भी शामिल होने की अनुमति होगी।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, यह वीज़ा विशेष रूप से STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) क्षेत्रों के युवा पेशेवरों और शोधकर्ताओं के लिए है। इस वीज़ा को प्राप्त करने की प्रक्रिया भी सरल है, और यह किसी स्थानीय कंपनी के आमंत्रण के बजाय आवेदक की योग्यता और अनुभव के आधार पर जारी किया जाएगा। यह निर्णय अगस्त में ही लिया गया था और अब यह 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होगा। चीन की इस नई नीति का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रतिभाओं को आकर्षित करके प्रौद्योगिकी और विज्ञान के क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करना है।