Prabhat Vaibhav,Digital Desk : रामनगरी अयोध्या और दक्षिण कोरिया के बीच सदियों पुराना रिश्ता अब और गहराता नजर आ रहा है। बुधवार को अयोध्या में दक्षिण कोरिया की महारानी हो, जो अयोध्या की राजकुमारी मानी जाती हैं, उनकी दस फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस ऐतिहासिक मौके पर अयोध्या के महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने औपचारिक रूप से प्रतिमा से पर्दा हटाया।
दरअसल, इस प्रतिमा का अनावरण दक्षिण कोरिया से आए प्रतिनिधिमंडल को करना था, लेकिन खराब मौसम के चलते वे अयोध्या नहीं पहुंच सके। ऐसे में नगर निगम की ओर से यह जिम्मेदारी महापौर ने निभाई। प्रतिमा कोरिया मेमोरियल पार्क में स्थापित की गई है, जो सरयू नदी के तट पर स्थित है।
करीब दस फीट ऊंची और लगभग 1.2 टन वजनी यह कांस्य प्रतिमा दक्षिण कोरिया में तैयार की गई थी। इसे समुद्री मार्ग से भारत लाया गया और सोमवार को अयोध्या पहुंचाया गया। पार्क में महारानी हो के साथ-साथ अन्य महापुरुषों और देव प्रतिमाओं को भी स्थान दिया गया है, जिससे यह स्थल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से और समृद्ध बन गया है।
मान्यता है कि लगभग दो हजार वर्ष पहले अयोध्या की राजकुमारी सूरी रत्ना समुद्री यात्रा कर दक्षिण कोरिया पहुंची थीं। वहां उनका विवाह करक वंश के राजा किम सुरो से हुआ और वे कोरिया में महारानी हो के नाम से प्रसिद्ध हुईं। यही ऐतिहासिक कथा आज भारत और कोरिया के रिश्तों की मजबूत नींव मानी जाती है।
महारानी हो की स्मृति में अयोध्या में वर्ष 1999 में कोरिया मेमोरियल पार्क की आधारशिला रखी गई थी। इसके बाद नगर निगम, विकास प्राधिकरण और कोरियाई सहयोग से पार्क का लगातार विकास किया गया। अब इसे और सुंदर और आधुनिक बनाने का काम चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है।
सरयू तट पर करीब दो हजार वर्ग मीटर में फैले क्वीन हो मेमोरियल पार्क का निर्माण 18 करोड़ रुपये की लागत से किया गया। सितंबर 2019 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट नवंबर 2021 में पूरा हुआ। पार्क में मेडिटेशन हॉल, क्वीन पवेलियन, किंग पवेलियन, फव्वारे, पाथवे, लैंडस्केपिंग, म्यूरल, ऑडियो-वीडियो सिस्टम और पार्किंग जैसी सुविधाएं विकसित की गई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मार्च 2024 में इसका लोकार्पण किया था।
आज भी महारानी हो के वंशज हर साल अयोध्या आते हैं और सरयू तट पर स्थित स्मृति स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह प्रतिमा और पार्क न केवल इतिहास की याद दिलाते हैं, बल्कि भारत और दक्षिण कोरिया के सांस्कृतिक संबंधों को भी नई मजबूती देते हैं।




