
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : रामनगर के मोहल्ला बंबाघेर में एक मुस्लिम परिवार पिछले चार पीढ़ियों से रावण और कुंभकरण के पुतले बनाकर अनोखी परंपरा निभा रहा है। शुरुआत उनके परदादा अल्लाह बक्श ने की थी, उसके बाद दादा अब्दुल सत्तार, फिर ताऊ असलम और पिता तसलीम ने इस कला को आगे बढ़ाया। अब यह जिम्मेदारी गुलजार के कंधों पर है।
गुलजार बताते हैं कि उनका परिवार सिर्फ पायतेवाली रामलीला कमेटी के लिए ही नहीं, बल्कि कालाढूंगी और पीरूमदारा क्षेत्र के लिए भी पुतले तैयार करता है। इस बार एमपी इंटर कालेज के खेल मैदान में 80 फुट लंबा, पीरूमदारा में 60 फुट और कालाढूंगी में 40 फुट लंबा रावण जलाया जाएगा।
पायतेवाली रामलीला कमेटी इस बार राम और रावण के पुतलों में पटाखे नहीं डाल रही है। गुलजार कहते हैं कि पुतले बनाने का काम लगभग एक माह पहले शुरू हो जाता है। इस काम के लिए हापुड़ और मुरादाबाद से अनुभवी श्रमिक बुलाए जाते हैं। पुतले बनाने में बांस, अबरी, अखबार और मैदा का इस्तेमाल होता है।
रावण दहन की यह परंपरा पायतेवाली रामलीला कमेटी के माध्यम से 70-80 साल से जारी है, और इसे एक ही परिवार द्वारा निभाया जा रहा है। इस साल रावण दहन एमपी हिंदू इंटर कालेज के खेल मैदान में होगा। हाईकोर्ट ने इसे प्रतिबंधों के साथ अनुमति दी है, और सभी लोग कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सुरक्षित रूप से इस उत्सव का हिस्सा बन सकते हैं।
पायतेवाली रामलीला कमेटी के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल का संदेश:
“हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि गुरुवार शाम को रावण और कुंभकरण दहन कार्यक्रम में जरूर शामिल हों और इस परंपरा का आनंद लें।”