अशोक चक्र विजेता की 15वीं पुण्यतिथि पर सैनिक कल्याण मंत्री ने किया नमन, कहा सरकार परिजनों के प्रति सरकार गंभीर

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देहरादून। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने मंगलवार को ''अशोक चक्र'' विजेता हवलदार बहादुर सिंह बोहरा (Balidani Bahadur Singh Bohra) की 15वीं पुण्यतिथि पर उनकी वीरता को नमन किया। मंत्री गणेश जोशी मंगलवार को बिलासपुर कांडली स्थित उनके आवास पर पहुंचे। इस दौरान बलिदानी हवलदार बहादुर सिंह बोहरा (Balidani Bahadur Singh Bohra) की प्रतिमा पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मंत्री ने कहा कि बलिदानियों को कोई भी वापस नहीं ला सकता, लेकिन सरकार का दायित्व है कि बलिदानी और उनके परिजनों के प्रति सरकार कितनी गंभीर है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार बलिदानियों के उत्थान और उनके कल्याण के लिए अनेकों योजनाएं संचालित की जा रही हैं। देहरादून में भव्य सैन्य धाम का निर्माण किया जा रहा है, जिसका निर्माण कार्य दिसंबर माह तक पूरा कर लिए जाएगा।

उन्होंने कहा कि देहरादून के न्यू कैंट रोड स्थित विजय कॉलोनी पुल पर बलिदानी द्वार निर्मित किया गया है। बलिदानी के सम्मान और उनके परिजनों के कल्याण के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत हैं।

गौरतलब है कि हवलदार बहादुर सिंह बोहरा (Balidani Bahadur Singh Bohra), अशोक चक्र भारतीय सेना के 10वीं बटालियन, पैराशूट रेजिमेंट के एक सैनिक थे, जो भारत के सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित हैं। हवलदार बहादुर सिंह बोहरा जम्मू-कश्मीर के सामान्य इलाके लवंज में तलाशी अभियान के लिए तैनात एक हमले दल के दस्ते के कमांडर थे। 25 सितंबर 2008 को शाम 6.15 बजे उन्होंने आतंकवादियों के एक समूह को देखा और उन्हें रोकने के लिए तेजी से आगे बढ़े।

इस दौरान वह भारी शत्रुतापूर्ण फायर की चपेट में आ गये। निडर होकर उन्होंने आतंकवादियों का सामना किया और उनमें से एक को मार डाला। हालांकि उन्हें गोली लगने से गंभीर चोटें आईं थी। युद्ध से पीछे न हटते हुए उन्होंने हमला जारी रखा और बेहद करीब से दो और आतंकवादियों को मार गिराया। इस प्रकार हवलदार बहादुर सिंह बोहरा (Balidani Bahadur Singh Bohra) ने सबसे विशिष्ट बहादुरी का प्रदर्शन किया और आतंकवादियों से लड़ने में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनका जन्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक सुदूर गांव रावलखेत में एक कुमाऊंनी राजपूत परिवार में हुआ था। वे 2 बड़ी बहनों और एक बड़े भाई के साथ 4 बच्चों में सबसे छोटे थे। उनके परिवार में पत्नी शांति बोहरा और 2 बेटियां मानसी और साक्षी हैं।

इस मौके पर उत्तराखंड सब एरिया से कर्नल सुमित सूद, कर्नल आदित्य वाली, शहीद की पत्नी शांति बोहरा, वंदना बिष्ट, चंदन बिष्ट, नैन सिंह पवार, आशीष शर्मा, मंजु देऊपा आदि उपस्थित रहे।

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