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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अगले वर्ष होने वाले पंचायत चुनाव व 2027 के विधान सभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा संगठन की नींव मजबूत करने में लग गई है। पार्टी को बूथ स्तर तक मजबूत किया जा रहा है। इसके लिए शक्ति केंद्रों को चुनावी रणनीति का अहम आधार बनाया जा रहा है।

शक्ति केंद्रों की जिम्मेदारी सक्रिय व ऊर्जावान युवाओं को नए सिरे से सौंपने की तैयारी है। पार्टी का मानना है कि शक्ति केंद्र मजबूत होंगे तो बूथ भी प्रभावी होंगे। बूथ व शक्ति केंद्र मजबूत होने पर मंडल इकाई भी सशक्त होगी।

भाजपा ने प्रत्येक पांच-सात बूथों पर एक शक्ति केंद्र स्थापित किया है। ऐसे में प्रदेश में करीब 27 हजार शक्ति केंद्र हैं जबकि 1918 मंडल हैं। शक्ति केंद्र का मुखिया इसका प्रभारी होता है। प्रभारी सीधे मंडल अध्यक्ष को रिपोर्ट करते हैं। इसके अलावा शक्ति केंद्र के सह प्रभारी होते हैं। यह प्रभारी की मदद करते हैं और उनकी अनुपस्थिति में जिम्मेदारी निभाते हैं।

शक्ति केंद्रों में बूथ प्रभारियों की टीम भी रहती है। यानी बूथ अध्यक्ष इसमें शामिल होते हैं। बूथ सह प्रभारी भी इसमें रहते हैं। शक्ति केंद्रों में पन्ना प्रमुख भी होते हैं। सब मिलाकर करीब 120 से 130 कार्यकर्ताओं की टीम शक्ति केंद्रों पर सक्रिय रहती है। इन्हीं केंद्रों में प्रभारी व सह प्रभारी सक्रिय युवाओं को बनाने की तैयारी है।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह संगठन की मजबूती में लगे हुए हैं। उनका मानना है कि सशक्त शक्ति केंद्र ही मंडल और बूथ के बीच की मजबूत कड़ी है। हर कार्यकर्ता को जिम्मेदारी देकर उसे जवाबदेह बनाना होगा।

संगठन विस्तार की सतत प्रक्रिया के तहत नए लोगों को संगठन से न सिर्फ जोड़ना होगा बल्कि उन्हें जिम्मेदारी भी देना होगा। शक्ति केंद्र मजबूत होंगे तो सभी अभियान व कार्यक्रम के साथ ही पार्टी की विचारधारा प्रत्येक घर तक पहुंच सकेगी। इसका लाभ पंचायत चुनाव व विधान सभा दोनों चुनाव में मिलेगा।